नयी दिल्ली । जम्मू-कश्मीर में स्थायी निवासियों के संबंध में विधानसभा के विशिष्ट अधिकारों वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका की उच्चतम न्यायालय में सुनवाई अगले वर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित हो गयी।
जम्मू कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में दलील दी गयी कि राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं और ऐसी स्थिति में इस मामले में सुनवाई से शांति व्यवस्था पर असर पड़ सकता है। इसलिए मामले की सुनवाई पंचायत चुनाव के बाद की जाये। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई अगले वर्ष जनवरी के दूसरे सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और केंद्र सरकार की ओर से एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पैरवी की।
वेणुगोपाल ने न्यायालय से सुनवाई स्थगित करने का यह कहते हुए अनुरोध किया कि राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं और बड़े पैमाने पर अर्द्धसैनिक बल तैनात किये जा रहे हैं। यदि इस वक्त सुनवाई की गयी तो राज्य में कानून व्यवस्था की भीषण समस्या पैदा हो सकती है। इसके बाद मामले की सुनवाई स्थगित कर दी गयी।
गत 27 अगस्त को भी मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इससे संबंधित एक नया मामला सुनवाई के लिए नहीं लिया था, क्योंकि याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने खुद ही सुनवाई स्थगित करने का रजिस्ट्री से अनुरोध किया था।