जींद | हरियाणा में आसमान पर छायी धूल का असर स्वास्थ्य पर ही नहीं बल्कि खेत खलिहान पर भी दिखाई देने लगा है। फसलों तथा पेड़ों पर धूल की परत जम गई है ।
धूल की मोटी परत जमने से तापमान भी बढ़ गया है जिसके चलते फसलों की बढ़वार प्रभावित हो रही है जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ रहा है। यहां तक की फसलें झूलसने लगी हैं। यही हालात घरों के अंदर भी बने हुए हैं। घरों में धूल की मोटी परत जमी हुई है। पिछले तीन दिनों से छाये धूल के गुबार से अस्थमा के मरीज , बुजुर्गो तथा बच्चों को अच्छी खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इससे तापमान में गिरावट जरूर आई है लेकिन मौसम में उमस ज्यादा बनी हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिन तक धूलकणों से राहत की संभावना नहीं है । धूल भरी आंधी चलने के आसार है। कृषि विशेषज्ञ फसलों पर जमी धूल की परत को हलके पानी के छिड़काव से हटाने की सलाह दे रहे हैं। उड़ती धूल के कारण लोगों को घर से बाहर रहना तथा रात को सोना दूभर हो गया है। दमे तथा टीबी के मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं । कुछ मामले एलर्जी के भी सामने आ रहे हैं।
खेत खलिहान पर भी धूल भरे वातावरण का प्रभाव धूल भरे वातावरण का प्रभाव खेतों में भी देखने को मिल रहा है। सब्जी, फल, फूल, हरे चारे तथा अन्य फसलों पर धूल की परत जम गई है। जिसके चलते सब्जियों तथा फसलों पर असर दिखाई देने लगा है। धूल की परत के कारण फूल नहीं बन रहे हैं तथा पौधों को सूर्य से प्रकाश नहीं मिल रहा है ओर अंदरूनी तापमान बढऩे के कारण पेड़, पौधे झुलसने लगे हैं। गांव अहिरका निवासी नरेंद्र ने बताया कि उसने एक एकड़ में मिर्च लगाई हुई है। पौधों पर मोटी परत धूल की जम गई है। जिसके कारण पौधों की ग्रोथ रूक गई है और फूल भी खराब हो गए हैं।