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किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने नहीं चलने दी संसद - Sabguru News
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किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने नहीं चलने दी संसद

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किसानों के मुद्दे पर विपक्ष ने नहीं चलने दी संसद
The opposition did not allow Parliament to run on the issue of farmers
The opposition did not allow Parliament to run on the issue of farmers
The opposition did not allow Parliament to run on the issue of farmers

नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र के पहले दिन किसानों के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे के कारण संसद के दोनों सदनों में आज कोई कामकाज नहीं हो पाया।

लोकसभा में दो बार के स्थगन के बाद शाम सात बजे जैसे ही कार्यवाही शुरु हुई विपक्षी सदस्य तीनों कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग के समर्थन में हाथों में तख्तियां लेकर सदन के बीचोंबीच आ गये और सरकार विरोधी नारेबाजी करने लगे।

अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से बार बार अपील की कि वे अपनी सीट पर बैठें तो उन्हें राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में अपनी बात कहने का अवसर मिलेगा। लेेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। इसबीच अध्यक्ष ने धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा आरंभ कराते हुए भाजपा की सदस्य लॉकेट चटर्जी का नाम पुकारा। चटर्जी ने चर्चा की शुरुआत की लेकिन विपक्ष का शोरशराबा जारी रहा।

इस पर बिरला ने पुन: विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने एवं चर्चा में भाग लेने अपील की। इसी बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि संसद की परंपरा रही है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कभी भी शोरशराबा या हंगामा नहीं होता है। जोशी ने कहा कि वह अपील करते हैं कि हम इस परंपरा को कायम रखें और चर्चा को आगे बढ़ने दें।

इस पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कुछ कहा लेकिन शोरशराबे में उनकी बात नहीं सुनायी दी। इसी बीच अध्यक्ष बिरला ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।

राज्यसभा में भी किसान आंदोलन को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने भारी शोरगुल और हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाई बुधवार तक स्थगित करनी पड़ी। सभापति एम वेंकैया नायडू और उप सभापति हरिवंश को हंगामे के कारण सदन की बैठक तीन बार स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी दल के सदस्यों ने सदन की बैठक शुरू हाेने पर शून्यकाल और प्रश्नकाल तथा इसके बाद भी किसानों के आंदोलन के मुद्दे उठाए थे। विपक्ष का कहना था कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है और इस पर सदन के सारे कामकाज स्थगित कर चर्चा की जानी चाहिए। नायडू ने कहा कि कल इस मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। इसलिए सदस्यों को इसे नहीं उठाना चाहिए। उन्होंने सदस्यों से बार बार इस मुद्दे पर जोर नहीं देने का अनुरोध किया।

लोकसभा में इसके पूर्व शाम पांच बजे एक बार के स्थगन के बाद सदन की कार्यवाही जैसे ही शुरु हुई विपक्षी सदस्य हाथों में किसान विरोधी कानून वापस लो, किसानों को मत मारो, किसानों पर तानाशाही नहीं चलेगी जैसे नारों से लिखी तख्तियां हाथों लेकर सदन के बीचोबीच आ गये और नारेबाजी तथा हंगामा करने लगे।

चौधरी ने हंगामें के बीच कहा कि किसान का मुद्दा महत्वपूर्ण है लेकिन जो व्यवहार किसानों के साथ हो रहा है उसे देखते हुए लगता है कि देश एक बार फिर ब्रिटिश राज में चला गया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर सदन तथा सदन के बाहर कहीं भी चर्चा कराने के लिए तैयार है लेकिन इसमें विपक्ष को तैयार होने की जरूरत है। उनका कहना था कि इस बार प्रश्नकाल में भी किसानों से संबंधित सवाल थे और उस पर सदस्यों को ध्यान देना चाहिए था। यदि विपक्ष को राजनीति नहीं करनी है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा चाहते हैं तो सरकार इसके लिए तैयार है।

बिरला ने कहा कि संसद चचा,वाद विवाद और जन समस्याओं के समाधान के लिए होता है। जनता ने हम सभी को इसीलिए चुनकर भेजा है। नारेबाजी करना और तख्तियां लेकर सदन में आना ठीक नहीं है। संसद में संसदीय परंपरा का पालन किया जाना चाहिए। सदन में लगातार हल्ला होता रहा और हंगामा कर रहे सदस्यों ने अध्यक्ष बात को अनसुना कर हंगामा जारी रखा तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही सात बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

अपराह्न चार बजे सदन के समवेत होने पर हंगामे के कारण प्रश्नकाल नहीं हो पाया और सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी थी। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिरोमणि अकाली दल के सदस्य उत्तेजित अवस्था में तीनों कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर नारे लगाते हुए सदन के बीचोंबीच आ गये थे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी हाथों में सरकार विरोधी नारे की तख्ती उठाये हुईं थीं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी सदन में मौजूद थे।