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The shrines of Badrinath Dham were also closed after prayers - Sabguru News
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बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूजा-अर्चना के बाद बंद किए गए

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बदरीनाथ धाम के कपाट भी पूजा-अर्चना के बाद बंद किए गए
The shrines of Badrinath Dham were also closed after prayers
The shrines of Badrinath Dham were also closed after prayers
The shrines of Badrinath Dham were also closed after prayers

बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शाम पूजा-अर्चना के बाद पूरे विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए। इसी के साथ चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया। बदरीनाथ धाम कपाट बंद करने की तैयारी रविवार तड़के से ही प्रारंभ हो गई थी। प्रात:कालीन चार बजे अभिषेक पूजा की गई। दोपहर डेढ़ बजे सायंकालीन पूजा हुई। इसके बाद तीन बजे से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गईं।

इसके बाद शाम पांच बजकर 13 मिनट पर धाम के कपाट बंद कर दिए गए। सोमवार को बदरीश पंचायत (बदरीनाथ गर्भगृह) से उद्धव जी और कुबेर जी की उत्सव मूर्ति योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान कर गई। वहीं कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत शनिवार को मुख्य पुजारी ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करने के बाद लक्ष्मी जी का आह्वान किया।

कपाट बंद होने से पहले माता लक्ष्मी को भगवान बदरीनाथ के मंदिर में विराजमान किया गया था। यहां आपको बता दें कि सृष्टि का आठवां बैकुंठ कहलाने वाले बदरीनाथ धाम उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के किनारे स्थित यह हिन्दू धर्म के चार धामों में शुमार है। यहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं।

बदरीनाथ धाम से जुड़ी एक मान्यता काफी लोकप्रिय है। ऐसा कहा जाता है कि ‘जो आए बदरी, वो न आए ओदरी’। इसका मतलब जो व्यक्ति बदरीनाथ के दर्शन एक बार कर लेता है उसे दोबारा माता के गर्भ में जाने की जरूरत नहीं होती।

बदरीनाथ धाम दो पर्वतों की चोटी के बीच में बसा हुआ है

बदरीनाथ धाम दो पर्वतों की चोटी के बीच बसा हुआ है। इन पर्वतों को नर नारायण पर्वत कहा जाता है। भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण ने यहीं तपस्या की थी। ऐसा कहा जाता है कि नर का अगला जन्म अर्जुन तो नारायण का जन्म श्रीकृष्ण के रूप में हुआ।

जब बदरीनाथ के कपाट खुलते हैं उस समय मंदिर में जलने वाले दीपक के दर्शन का भी खास महत्व होता है। करीब 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर देवता इस दीपक को जलाए रखते हैं।

शीतकालीन के लिए बंद कर दिए जाते हैं चारों धाम

आपको बता दें कि शीतकाल में बर्फबारी और भीषण ठंड के कारण चारों धामों- बदरीनाथ , केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल- मई में दोबारा श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं।

सबसे आखरी में बंद किए जाने वाले बदरीनाथ धाम के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु शनिवार सुबह ही पहुंच गए थे। श्रद्धालुओं ने कपाट बंद होने से पहले बाबा बदरीनाथ के दर्शन किए। इस साल चारों धाम में देश-विदेश से रिकॉर्ड तोड़ श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचे।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार