सिरोही। सिरोही की मूल भाजपा द्वारा डिनर पॉलिटिक्स ने बहाने समानांतर भाजपा संगठन खड़ा करने का आरोप लगाया है। इस आरोप से घिरे कथित प्रदेश स्तरीय बाहरी नेता के कथित नेतृत्व में सिरोही भाजपा नेताओं का एकत्रिकरण कोई एकाएक किसी घटना का परिणाम नहीं थी। ये बात अलग है कि वायरल पत्र में लिखे कंटेंट के अनुसार इसका तात्क्षणिक कारण जिले में भाजयुमो जिलाध्यक्ष का पद माना जा रहा है।
विधानसभा चुनावों में अब ढाई साल बाकी हैं और उसकी तैयारियों के दो साल। ऐसे में जिले के प्रमुख संगठनों पर अपने अपने लोगों को बैठाने की जुगत में जिला भाजपा के सभी गुट लगे हुए हैं। मूल भाजपा पर अभी भी जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित का दबदबा है। ऐसे में मोर्चों पर दूसरे गुट अपने लोगों को बैठाने की कोशिश में हैं।
भाजपा के अंदरखाने जो चर्चा है उसके अनुसार किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद पर नारायण पुरोहित के इतर सांसद देवजी पटेल और लुम्बाराम देवासी समूह सफल हुआ। इसके बाद सबसे प्रभावी पद था भाजयुमो जिलाध्यक्ष का। संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के नाम से वायरल पत्र में भी इसका जिक्र है। इसके अनुसार कथित प्रदेश स्तरीय नेता इस पर अपने व्यक्ति को बैठाने की कवायद में थे। लेकिन, जिलाध्यक्ष का दाव यहां भी चल गया।
विधायक पद के दूसरे भावी दावेदार भी इसमें अपने अपने करीबियों को बैठाने की जुगत में थे। खुद भाजपा के कथित प्रदेश स्तरीय नेता के करीबी इसकी दावेदारी में थे। इस स्नेह मिलन को इसी की तात्क्षणिक प्रतिक्रिया बताने की कोशिश मूल संगठन के लोग और वायरल पत्र में कर रहे हैं।
एबीवीपी से निष्कासन की बात भी उठी
भाजयुमो जिलाध्यक्ष पद के लिए माउण्ट आबू से सिरोही तक कई दावेदार थे। इनमें भाजयुमो में लम्बे समय से सक्रिय रहे दीपेन्द्रसिंह पीथापुरा, गणपतसिंह निम्बोड़ा, पिण्डवाड़ा क्षेत्र से सुरेन्द्रसिंह, माउण्ट आबू से नरपत चारण शामिल थे। इसके अलावा सिरोही शहर में हार्दिक देवासी और योगेश दवे को इसका दावेदार बताया जा रहा था। लेकिन, जब दावेदारों की चर्चा से बाहर भाजपा पार्षद गोपाल माली के नाम की घोषणा हुई तो पार्टी के प्रौढ़ नेताओं के साथ युवा मोर्चा पदाधिकारी भी उद्वेलित हुए।
उस दौरान ये बात भी सामने आई कि गोपाल माली को सिरोही राजकीय महाविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में एबीवीपी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय प्रत्याशी का समर्थन करने और एबीवीपी प्रत्याशी को हराने का ईनाम क्यों दिया गया?
सोशल मीडिया में उस दिन की खबरें भी वायरल होने लगी जब गोपाल माली और उनके सहयोगियों को संगठन प्रांत मंत्री मांगीलाल द्वारा निष्कासित करने की घोषणा की गई थी। भाजयुमो जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के बाद आई एकाएक प्रतिक्रियाएं अन्य नियुक्तियों से ज्यादा आक्रोश भरी थी। वायरल पत्र में ‘भाजयुमो का जिलाध्यक्ष बनाने में विफल हुए नेता’ लाइन का उपयोग इसी ओर इशारा कर रहा है।
स्नेह मिलन के अंदर गोलमेज सम्मेलन
वायरल पत्र में एक और शब्द का इस्तेमाल हुआ है, वो है ‘पसंद-नापसंद’। ये शब्द भाजपा में उस समय चलन में आया था जब लुम्बाराम चौधरी को जिलाध्यक्ष चुनने के लिए जलदाय विभाग कार्यालय चौराहे पर स्थित होटल में जिलाध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया हुई थी। पसंद नापसंद, अपेक्षित और उपेक्षित शब्द इसके बाद से संगठन में स्थान पाए और नजरअंदाज किए लोगों के लिए इस्तेमाल होते रहे हैं।
विवादित स्नेहमिलन के अंदर भी एक गोलमेज सम्मेलन हुआ बताया जा रहा है। इसमें आगामी विधानसभा चुनावों में टिकिट के प्रबल दावेदार माने जा रहे ‘पंसद’ वाले लोग शामिल हुए थे। इससे पहले हुई भाषणबाजी में कांग्रेस की जगह सिरोही विधायक संयम लोढ़ा को प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मानते हुए उन्हें ही हराने पर भी विचार रखे गए।
लगातार…