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पालघर माॅब लिंचिंग : 33 आरोपियों ने मांगी जमानत - Sabguru News
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पालघर माॅब लिंचिंग : 33 आरोपियों ने मांगी जमानत

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पालघर माॅब लिंचिंग : 33 आरोपियों ने मांगी जमानत

ठाणे। महाराष्ट्र के पालघर में सामूहिक रूप से पीट-पीट कर हत्या मामले के 144 आरोपियों में से 33 ने ठाणे की एक अदालत में जमानत दिए जाने संबंधी याचिका दाखिल की है।

पालघर जिले के गडचिंचली गांव में गत 16 अप्रैल की मध्यरात्रि दाे साधुओं समेत तीन लोगों की हिंसक भीड़ ने पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस मामले में कुल 165 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

आरोपियों में से 10 पुरूष एवं नौ नाबालिगों समेत 19 को डिफॉल्ट जमानत मिल गयी है और ये सभी अभी बाहर हैं। इस संबंध में न्यायालय में पेश किए गए तीन अलग-अलग आरोपपत्रों में नामजद होने के कारण बाकी 144 पुरूष एवं दो नाबालिग फिलहाल जेल और रिमांड होम में बंद हैं।

आरोप पत्र दाखिल होने के कारण जेल में बंद आरोपियों ने जमानत की याचिका पेश करने का इरादा किया है तथा पहले चरण में 33 आरोपियों ने न्यायालय में जमानत देने संबंधी याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है।

इस बहुचर्चित मामले की ठाणे जिला अदालत में इसलिए सुनवाई की जा रही है क्योंकि पालघर में इस तरह के मामले की सुनवाई के लिए कोई अदालत नहीं है।

इस हृदयविदारक एवं वीभत्स घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। गत 16 अप्रैल की रात को उस गाँव में लगभग 230 बजे कासा थाना क्षेत्र में 100 से अधिक आरोपियों ने लोगों को गैरकानूनी तरीके से एकत्र किया, भीड़ को उकसाया और वाहन को पलट दिया। इसके साथ ही दोनों साधुओं समेत तीनों लोगों पर लाठी, पत्थरों, लोहे की छड़ों और कुल्हाड़ियों से हमला कर दिया और उन्हें मार डाला। हिंसक भीड़ ने पुलिस वाहन को भी नुकसान पहुंचाया।

इस हिंसक हमले का शिकार होने वालों में साधु महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशील गिरी महाराज (35) तथा सहायक नीलेश तेलगड़े (30) हुए। इनमें से सुशील एवं नीलेश पुलिस जीप के अंदर बैठे थे जबकि महाराज कल्पवृक्षगिरी बाहर मौजूद थे।

इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में दो तीन याचिकायें भी दाखिल की गई हैं। शीर्ष अदालत में मामले की सुनवाई से पहले आरोप पत्र और दर्ज प्राथमिकी की प्रतियां भी मंगाई है। वकील सतीश मानेशिंदे को इस मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया है जबकि पीड़ितों के वकील प्रमोद ओझा हैं।