सबगुरु न्यूज-सिरोही। सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन हालात इसी की ओर इशारा कर रहे हैं। गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी अपनी कार्यप्रणाली को लेकर कांग्रेस के निशाने पर तो हैं ही, लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों में टिकिट लेने की प्रतिस्पर्धा में उन्हें भाजपा ने भी तीन तरफ से घेरना शुरू कर दिया है।
एक तरफ अंतरराष्ट्रीय हिन्दु परिषद, दूसरी तरफ सिरोही में भाजपा और आरएसएस की विचारधारा के पोषक वो लोग जो कथित पथभ्रष्ट हो चुकी वर्तमान भाजपा से व्यथित हैं और तीसरा मोर्चा संभाली हैं जिला प्रमुख भाजपा के कुछ प्रमुख नेता। फिलहाल सिरोही विधानसभा से ओटाराम देवासी ही भाजपा के प्रमुख दावेदार नजर आ रहे हैं ऐसे में उन्हें सबसे ज्यादा विरोध भाजपा के अंदर से ही झेलना पडे़गा।
हर घटना का कुछ ना कुछ साइड इफेक्ट होता है, इन घटनाओं का भी ऐसा ही साइड इफैक्ट होता भाजपा के ही नेताओं को लगने लगा है। वैसे दशकों से यह भी देखा गया है कि टिकिट मिलने के बाद कई राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के कारण विरोधी शराणगत भी हो जाते हैं।
-यह है पहला एंगल
सिरोही में सांगठनिक रूप से सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है अंतरराष्ट्रीय हिन्दु परिषद। प्रवीण तोगड़िया को विश्व हिन्दु परिषद के अध्यक्ष पद से जिस कथित गहरी साजिश के तहत बाहर किया गया, उससे इस संगठन में मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ गुस्सा है।
सिरोही में भी इसकी कार्यकारिणी गठित हो गई है। ओटाराम देवासी के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इसमें आरएसएस, विश्व हिन्दु परिषद और भाजपा के वो लोग शामिल हो चुके हैं जिनके कहने पर अच्छे खासे वोट इधर-उधर हो सकते हैं। या न्यूट्रल और नोटा को मिल सकते हैं।
-इस बैठक को नजरअंदाज करना मुश्किल
ओटाराम देवासी के लिए दूसरी मुसीबत रविवार को सिंधी धर्मशाला में एकत्रित हुए वो पुराने भाजपाई और संघी हैं, जिनका दावा है कि उन्होंने भाजपा को जिले में सींचा और बाहरी नेताओं ने उन्हें जाति और चापलूसियों के आधार पर हाशिये पर डाल दिया।
इन लोगों में भाजपा के अपने मूल आदर्शों से विचलन का दर्द भी है। जिले में सत्ता के दौरान भाजपा को जो काम करने थे उसके विपरीत चापलूसों को नवाजने के लिए जिले में सत्ता का जिस तरह से दुरुपयोग किया गया उससे भी ये लोग व्यथित हैं। भाजपा का शुद्धीकरण इनका मूल मकसद है।
-अविश्वास की अफवाह ने पैदा किया अविश्वास
हाल ही में जिला प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का राजनीति अफवाह भी जिले में फैली। इसे एक स्टंट माना जा रहा है, जिसके माध्यम से ओटाराम देवासी और भाजपा जिलाध्यक्ष पर निशाना साधा जा सके। ऐसा हुआ भी, इसकी हवा उड़ते ही लोग इसके पीछे भाजपा के ही नेताओं का हाथ बताते हुए चर्चा करने लगे।
जबकि वास्तविकता यह है कि कोई भी राजनीतिक रूप से समझदार व्यक्ति अब अविश्वास प्रस्ताव लाएगा भी नही। विधानसभा के बाद लोकसभा, फिर नगर निकाय और फिर 2020 जनवरी में फिर से पंचायतराज चुनाव आने वाले है। ऐसे में जिला प्रमुख के पास भी आचार संहिताओं के कारण काम करने का समय नहीं रहा है। ऐसे में हाॅर्स ट्रेडिंग में लाखों रुपये लगाकर जिला प्रमुख बनने की रिस्क कोई समझदार इंसान तो नहीं करेगा।
दूसरा अविश्वास के लिए जितनी न्यूनतम संख्या चाहिए उतनी है भी नहीं। वहीं डिस्ट्रीक्ट मिनरल फण्ड के माध्यम से जिला प्रमुख को विधायक फंड से कम ही सही, लेकिन एक ऐसा फंड मिल गया है जिसका इस्तेमाल वो जनता को खुश करने के लिए कर सकती हैं और कर भी रही हैं।
-इस तस्वीर में निकाला चौथा एंगल
सोमवार को जिला मुख्यालय पर हुई भाजपा किसान मोर्चा के महासम्मेलन में ओटाराम देवासी भले ही मुख्य अतिथि हों, लेकिन आयोजन स्थल पर लगी हुई तस्वीरों से भी लोग कुछ संदेश लेकर गए। इस दिन आयोजन स्थल के मुख्य द्वार के दोनों तरफ सांसद देवजी पटेल और जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया की तस्वीर लगी हुई थी।
देवासी की तस्वीर अंदर दरवाजे पर टंगी थी। ऐसे में कार्यक्रम स्थल पर इस कार्यक्रम को भी सांसद और जिला प्रमुख को प्रमोट करने वाला ज्यादा माना गया। वैसे मंच पर देवासी मुख्य अतिथि के रूप में विराजमान थे। ऐसे में इन तस्वीरों ने देवासी को घेरने के चैथे एंगल की भी आशंका नजर आ रही है।
सूत्रों की मानें तो अंदरखाने देवासी की खिलाफत वो लोग भी कर रहे हैं जिन्हें वे कंधे पर बैठाए घूमते अक्सर देखे जाते हैं, पार्टी गलियारे में यह चर्चा भी है कि प्रभुलाल सैनी के सिरोही प्रवास के दौरान अपने टिकिट के लिए ऐसे लोगों ने देवासी की लकीर छोटी करने की कोशिश भी की थी।