देवाधिदेव महादेव के प्रिय मास श्रावण मास में वर्षों बाद अदभुत संयाेग है जब श्रद्धालुओं को पांच सोमवार भोले की भक्ति आराधना और साधना का अवसर मिलेगा।
इस बार के पांच सोमवार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वेद पुराणों के अनुसार भगवान शिव के पांच मुख है और पंच महाभूतों से मनुष्य का शरीर बना है, इसलिए सावन के महीने में पड़ने वाले इन पांचों सोमवार को शिव की आराधना करने वाले के सभी मनोरथ पूरे होंगे।
श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है। शिव पुराण में भगवान शंकर ने स्वयं इस माह का महत्व बताते हुए कहा कि इस माह में जो भी मेरी पूजा अर्चना करता है उसे मेरी कृपा अवश्य प्राप्त होती है। इसलिए श्रावण के महीने में जो भी मनुष्य भगवान भोलेनाथ की आराधना करना है उस पर वे अवश्य कृपा करते हैं। भगवान शिव के पांच मुख है। साथ ही मनुष्य का शरीर पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश के पंच महाभूतो से बना है।
इस श्रावण माह के पांचों सोमवार मे भगवान शंकर की आराधना करने से भौतिक व दिव्य शरीर की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जो भक्त पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और शहद) से भगवान भोलेनाथ की पूजा करेगा उसकी मनोवांछित इच्छाएं अवश्य पूरी होंगी।
सावन के महीने मे सोमवार के व्रत करने का भी अलग महत्व है। भगवान भोलेनाथ ने स्वयं कहा है कि सभी महीनों में श्रावण का महीना मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका महत्व सुनने योग्य है। इसलिए इसे श्रावण मास कहा जाता है। इस मास मे श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है। इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इस माह के महत्व के सुनने मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है। इसीलिए भी यह इस मास को श्रावण का महीना कहते हैं।
अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्, अर्थात श्रावण मास में अकाल मृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा अन्य सभी व्याधियों को दूर करने के लिए पूजा की जाती है। मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकंडेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह मे ही घोर तप कर शिवजी की कृपा प्राप्त की थी जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने यमराज भी नतमस्तक हो गए थे। श्रावण मास मे सोमवार का व्रत भी अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है।
श्रावण मास में पांच सोमवार पड़ रहे हैं। जिसमे पहला सोमवार 6 जुलाई को, दूसरा सोमवार 13 जुलाई को, तीसरा सोमवार 2 जुलाई को, चौथा 27 जुलाई को, अंतिम सोमवार 3 अगस्त को होगा। इन दिनों में भक्त शिव की आराधना कर शिव की कृपा प्राप्त कर सकते है।