पुराने रीती रिवाज लगभग खत्म हो ही रहे हैं. लेकिन देश के कुछ गाँव ऐसे भी हैं जहाँ पर कुछ रिवाज आज भी निभाए जाते हैं और पूरी परम्परा के साथ निभाई जाते हैं. अक्सर देखा गया है कि पुराने ज़माने में जब राजा महाराजाओं को प्रजा तक कोई सन्देश देना होता था तो वो ढोल, नगाड़े या ऐसी ही किसी चीज़ का इस्तेमाल करते थे. जिसे सुन कर सभी लोग इकठ्ठा हो जाते थे. एक ऐसी ही परंपरा है जो आज भी एक गाँव में जीवित है. जहाँ गाँव वालों को कोई सन्देश या कोई चेतावनी देना होती है तो इसी तरह लोगों को इकठ्ठा किया जाता है. ये परंपरा भीलवाड़ा के बागौर क्षेत्र में चली आ रही है. भीलवाड़ा के बागौर क्षेत्र में ढोल नहीं बल्कि प्राचीन शिव मंदिर में मौजूद घंटे को बजाकर लोगों को इकट्ठा किया जाता है. ये रिवाज कई सालों से चला आरहा है. और गाँव वाले इससे भली भाँती परिचित है. इतना ही नहीं इस घंटे की आवाज़ सुनते ही सारे लोग अपने कामों को छोड़कर तुरंत एक जगह पर एकत्रित होजाते हैं.
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