मुंबई। मुंबई के केशव सृष्टि परिसर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक आरम्भ हुई। बैठक का आरम्भ सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत और सरकार्यवाह सुरेशजी जोशी ने छत्रपति शिवाजी महाराज तथा भारत माता के चित्र को पुष्पांजलि अर्पित करके किया।
इस अवसर पर रामभाऊ म्हालगी सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक प्रतिवर्ष दो बार आयोजित की जाती है। एक मार्च में और दूसरी दीपावली के पूर्व।
इस बैठक में देश भर से संघ के अखिल भारतीय, क्षेत्र तथा प्रांत के पदाधिकारी शामिल होते हैं। पत्रकार वार्ता में उनके साथ संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार व सह प्रचार प्रमुख नरेन्द्र ठाकुर भी उपस्थित थे। यह बैठक 2 नवंबर तक चलेगी। उन्होंने बताया कि इसी श्रृंखला में ये बैठक इस बार मुंबई में आयोजित की गई है जिसमें देश भर से 350 प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।
डॉ. वैद्य ने बताया कि इस बैठक में संघ द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय विषयों पर चर्चा करने के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में पिछले वर्ष किए गए कार्यों व आने वाले साल में किए जाने वाले कार्यों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में संघ द्वारा कुछ विशेष कार्य या नए प्रयोग किए गए हैं उन पर भी चर्चा होगी।
2010 से संघ ने कार्य विस्तार की कुछ विशेष योजनाएं हाथ में ली है। संघ का कार्य दैनिक शाखाओं के माध्यम से विस्तारित किया जाता है। आज संघ की 55 हजार से अधिक शाखाएं देश भर में लेह लद्दाख से लेकर त्रिपुरा और अंडमान तक संचालित हो रही है।
संघ का कार्य देश भर के 850 जिलों और 6 हजार तहसीलों में फैला है। 90 प्रतिशत खंडों(तहसीलों) पर संघ की शाखाएं नियमित रूप से चल रही है।
उन्होंने बतासया कि बैठक में पर्यावरणऔर जल संरक्षण विषय पर विशेष ध्यान देने के लिए चर्चा होगी। स्वयसेवक समाज को साल लेकर इन मुद्दों पर कैसे काम करें इस पर रूपरेखा तय की जा सकती है। वर्ष 1998 से ग्राम विकास गतिविधियां चल रही हैं। इसके 600 गांवों में प्रत्यक्ष परिणाम देखने को मिले हैं। गौ संवर्धन, कुटुंब प्रबोधन भी चर्चा के विषय रहेंगे।
राममंदिर पर संघ का मत रखते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर राष्ट्रीय स्वाभिमान और गौरव का विषय है। जेसे सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद खुद प्राण प्रतिष्ठा करने गए थे। इसी तरह सरकार को चाहिए कि वह राम मंदिर के लिए भूमि अधिग्रहीत करे उसे राम मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे। इसके लिए सरकार कानून बनाए।