नयी दिल्ली । मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से निजात दिलाने वाले विधेयक पर लोकसभा में गुरुवार को चर्चा होगी और इसे पारित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने सदस्यों की सदन में उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए ह्विप जारी किया है।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने आज यहाँ बताया कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 गुरुवार को लोकसभा में चर्चा के लिए लाया जाएगा। इसे देखते हुए भाजपा ने ह्विप जारी किया है। तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए सरकार पहले भी एक विधेयक ला चुकी है जो लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में अटक गया है क्योंकि वहाँ सत्ता पक्ष के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है और विपक्ष विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति कर रहा था।
सरकार ने विधेयक पारित कराने में हो रही देरी को देखते हुये इस साल सितंबर में विपक्ष के कुछ संशोधनों को स्वीकार कर एक अध्यादेश लेकर आयी थी जो अभी अस्तित्व में है। पुराने विधेयक अब भी राज्यसभा में लंबित है जबकि सरकार ने अध्यादेश के प्रारूप पर ही नया विधेयक लोकसभा में इसी सत्र में पेश किया है।
नये विधेयक में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है, लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित विधेयक में किये गये बदलाव के अनुसार मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और विवाह से बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं। मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा। एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे की भी हकदार होगी।
सरकार के सामने 01 जनवरी 2017 से तीन तलाक के करीब 430 मामले आये हैं जिनमें से 229 उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले और 201 फैसले के बाद के हैं। इनमें सबसे अधिक 120 मामले उत्तर प्रदेश से हैं।