इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने आध्यात्मिक गुरु उदयसिंह देशमुख उर्फ़ भय्यू महाराज की आत्महत्या के मामले में एक महिला सहित तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने और अन्य धाराओं में सजा सुना दी है।
जिला अपर लोक अभियोजक (एजीपी) गजराज सिंह सोलंकी ने बताया कि इंदौर जिला सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार सोनी ने आज मामले के तीनों आरोपियों को सजा सुनाई है।
न्यायालय ने भय्यू महाराज के सेवादार विनायक दुधाड़े (42) निवासी अहमदनगर महाराष्ट्र, शरद देशमुख (35) निवासी अकोला महाराष्ट्र और पलक पौराणिक (25) निवासी इंदौर को दोषी करार दिया है।
न्यायालय ने अपने आदेश में माना कि तीनों ने षड्यंत्र पूर्वक भय्यू महाराज को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। जिसकी वजह से उन्होंने स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
न्यायालय ने तीनों को आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी 306) में छह वर्ष का सश्रम कारावास, वसूली (आईपीसी 384) और षड्यंत्र (आईपीसी 120 बी) के लिए दो वर्ष का सश्रम कारावास से दण्डित किया है। न्यायालय ने तीनों पर एक-एक हजार का अर्थदंड भी लगाया है। तीनों 18 जनवरी 2019 से न्यायिक अभिरक्षा में जेल में ही कैद है। न्यायालय ने सजा वारंट जारी करने के आदेश जारी कर दिए है।
एजीपी ने बताया कि न्यायालय में सिद्ध हुआ कि दोषी करार दिए गए विनायक और शरद घटना के पहले से भय्यू महाराज पर दबाव बना रहे थे। दोनों पलक से विवाह करने के लिए भय्यू महाराज को बदनाम करने की धमकी देते हुए ब्लैकमेल कर रहे थे।
तीनों के द्वारा रुपयों की मांग करने और बदनाम करने की धमकी देने से प्रताड़ित होकर भय्यू महाराज ने अपने तेजाजी नगर थाना क्षेत्र स्थित निज निवास में स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।
न्यायालय ने मामले में जांच कर रही पुलिस द्वारा तीनों दोषियों और भय्यू महाराज से जब्त सभी कीमती वस्तुओं और आत्महत्या में प्रयुक्त रिवाल्वर संबंधित पक्षों को सुपर्द करने के आदेश भी जारी किए है।
उल्लेखनीय है भय्यू महाराज के द्वारा आत्महत्या करने के छह माह बाद मामले में प्रकरण दर्ज किया गया था। प्रकरण में भय्यू महाराज की दूसरी पत्नी आयुषी और उनकी पहली मृत पत्नी से प्राप्त बेटी कुहू की गवाही महत्वपूर्ण रही।