अजमेर। ल्हासा तिब्बतीयन मार्केट एशोसिएशन के बैनर तले कचहरी रोड स्थित तिब्बती मार्केट परिसर में मनाए जा रहे तीन दिवसीय तिब्बती नववर्ष समारोह का गुरुवार को परंपरागत तरीके से समापन हुआ।
प्रधान छींगयसन ने बताया कि तिब्बती लोग नए साल लोसर को करीब एक माह तक मनाते हैं, जबकि आधिकारिक रूप से लोसर पर तीन दिन तक कार्यक्रम होते हैं। लोसर का अर्थ नया साल होता है। लो यानि—वर्ष, सर—नया जो मिलकर बनता है नववर्ष। पहले इस उत्सव को देवी-देवता तथा भूत-प्रेतों को खुश करने के लिए मनाते थे, पर अब यह इनका नववर्ष है।
नव वर्ष (लोसर-2145) 5 फरवरी को नववर्ष का आगाज के पहले दिन पूजा अर्चना कर गुरु दिवस के रूप में मनाते हुए गुरु दक्षिणा अर्पित की गई। दूसरे दिन पेनपे लेसर के मौके पर वरिष्ठ विद्वानजनों का सम्मान कर उपाधि दी गई। इस दिन तिब्बती लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं तथा व विश्व शांति की कामना करते हैं।
अंतिम दिन सुबह पूजा अर्चना कर देवी देवताओं का आहवान किया गया। नाच, गाकर खुशी जाहिर कर एक दूसरे को बधाई दी। नए साल में शांति और खुशी के लिए हवा में त्सम्पा का भी छिड़काव करा गया। देवताओं के लिए सुगंधित धुआं बनाने के लिए अनुष्ठान किया गया। मिठाई खिलाकर एक दूसरे का मुंह मीठा कराया।
लोसर पर्व पर क्या खास
लोसर पर्व यानी नए साल के मुख्य व्यंजनों में ताजा जौ का सत्तू, फेईमार ग्रोमां, ब्राससिल, लोफूड तथा छांग हैं। इस दिन घरों की साफ सफाई करते हैं तथा रंगरोगन कर घरों को सजाते हैं। त्योहार के दिन नए कपड़े पहन कर लोग इस पर्व को मनाते हैं खास कर बच्चों के लिए अवश्य नए कपड़े बनते हैं।
रसोई की दीवारों पर एक या आठ शुभ प्रतीक बनाए जाते हैं तथा घरेलू बर्तनों के मुंह ऊन के धागों से बांध दिए जाते हैं। रोचक ही है कि इस दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाओं को तिब्बती लोग शुभ मानते हैं। तिब्बत के अति दुर्गम क्षेत्रों में लोसर से पूर्व पशुओं का सामूहिक वध करने की परंपरा है जिनमें याक, भेड़ और बकरियां होती हैं।
स्त्रियां इस दिन सुबह पानी भरने जाती हैं और पानी के स्रोत के पास धूप जलाकर प्रार्थना करती हैं फिर घर आकर उबली हुई छांग घर के प्रत्येक सदस्य को देती हैं। सभी सदस्य पंक्ति में बैठ कर पाठ करते हैं फिर उन्हें चाय के साथ मिठाइयां भी परोसी जाती हैं जिसे स्थानीय भाषा में डकार स्प्रो कहते हैं अपने घरों में यह समारोह समाप्त होने पर लोग तशीदेलेक कहते हुए पड़ोसियों के घरों में जाते हैं और लोसर की बधाई देते हैं। कुछ स्थानों पर यह त्योहार एक सप्ताह तक चलता है पर आम तौर पर तीन दिन तक ही चलता है। कुछ लोग इस दिन शादी रचाना भी शुभ मानते हैं।