पन्ना। मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में खासा इजाफा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली दस वर्षीय बाघिन को इन दिनों वन विभाग का रेस्ट हाउस परिसर काफी पसंद आ रहा है और वह आए दिन यहां आराम फरमाने पहुंच जाती है।
बाघिन रेस्ट हाउस के पोर्च में घंटों विश्राम करती हुई वन कर्मचारियों को नजर आ रही है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के इस दौर में लॉकडाउन के कारण जंगल में इंसानी हस्तक्षेप कम हुआ है, जिसका असर साफ नजर आने लगा है। प्रकृति ने जहां खुद को संवारना शुरू कर दिया है, वहीं वन्य प्राणी भी इंसानों की आवाजाही व दखल बंद होने से उन इलाकों में भी बेखौफ होकर विचरण कर रहे हैं, जहां इंसानों ने कब्जा किया है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक केएस भदौरिया ने बताया कि बाघिन (पी-213) वन परिक्षेत्र पन्ना के तालगांव स्थित वन विभाग के निरीक्षण कुटीर (रेस्ट हाउस) में अक्सर पहुंच जाती है और यहां घंटों विश्राम करती है। लगभग एक दशक पूर्व तक यहां पर तालगांव नाम की बड़ी बस्ती थी।
टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में होने के कारण अब इस गांव का व्यवस्थापन हो चुका है। फलस्वरूप इस गांव के खेत बेहतरीन ‘ग्रास लैंड’ में तब्दील हो चुके हैं। तालगांव के इस विशाल ग्रास लैंड में सैकड़ों की संख्या में चीतल, सांभर और नीलगाय झुंड में नजर आते हैं। इन शाकाहारी वन्य जीवों की बड़ी तादाद में मौजूदगी के चलते यहां कई बाघों का आवागमन बना रहता है। बाघिन (पी- 213) ने तो इस इलाके को अपना ठिकाना ही बना लिया है।
बाघ पुनर्स्थापना योजना के तहत राज्य के कान्हा टाइगर रिजर्व से पन्ना लाई गई बाघिन टी-2 ने अक्टूबर 2010 में बाघिन पी- 213 को इसी वन परिक्षेत्र में जन्म दिया था। लगभग 14 माह की उम्र में बाघिन (पी-213) ने अपनी मां से पृथक होकर मां के आधे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमा लिया था। पन्ना की लगभग दस वर्षीय इस बाघिन ने यहां नन्हे शावकों को जन्म देकर बाघों के संसार को आबाद करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
तालगांव ग्रास लैंड में एक अति प्राचीन तालाब भी है, जिसका उपयोग व्यवस्थापन से पूर्व ग्रामवासी अपने निस्तार व खेतों की सिंचाई के लिए करते थे। मौजूदा समय ताल गांव का यह प्राचीन तालाब गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाता है। दिन ढलने के बाद ग्रास लैंड का नजारा किसी अजूबे की तरह हो जाता है। इस तालाब में सैकड़ों की संख्या में वन्य प्राणी पानी पीने आते हैं और वहीं ग्रास लैंड में वृक्षों के नीचे विश्राम करते हैं।
अंधेरा होने पर इस पूरे ग्रास लैंड में वन्य प्राणियों की आंखें इस तरह टिमटिमाती हैं, मानो जंगल में हजारों दीपक जल रहे हों या फिर आकाश के तारे नीचे उतर कर पूरे जंगल में छिटक गए हों। यह अदभुत दृश्य देखने का अवसर अक्सर उन वन कर्मचारियों को मिलता है, जो रात्रिकालीन गश्त या ड्यूटी पर रहते हैं। यह नजारा देख सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
क्षेत्र संचालक भदौरिया ने बताया कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए तालगांव ग्रास लैंड के समीप एक निरीक्षण कुटीर (रेस्ट हाउस) का निर्माण कराया गया है, जिसमें अधिकारी व कर्मचारी निरीक्षण के दौरान आराम व रात्रि विश्राम कर सकें। वर्तमान समय में यह निरीक्षण कुटीर अब बाघिन पी- 213 को इतनी रास आने लगी है कि वह किसी भी समय बेखौफ होकर यहां आकर इस तरह विश्राम करती है जैसे यह कुटीर उसी के लिए बनी है।
बाघिन के आने पर वन कर्मचारी उसके विश्राम में जरा भी खलल पैदा नहीं करते, फलस्वरुप बाघिन अपनी मर्जी के मुताबिक यहां आराम फरमाती है। विशेष बात यह है कि आस-पास वन कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद बाघिन निश्चिंत होकर बैठी रहती है तथा किसी को कोई क्षति नहीं पहुंचाती।