नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करने में अहम भूमिका निभाने वाला बताते हुए सोमवार को कहा कि उनकी सेवा शर्तों को बेहतर बनाना समय की मांग है।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले पर दायर एक अपील पर हुए ये टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि समेकित बाल विकास योजना के तहत स्थापित आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने के लिए नियुक्त हजारों कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की बेहतर सेवा शर्तें प्रदान करने का समय की मांग है। केंद्र और राज्य सरकारों इस पर ध्यान देना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता/सहायिका भी सरकार और लक्षित लाभार्थियों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करती हैं। वे लाभार्थियों बेहद नजदीक रह कर काम करती हैं। सर्वेक्षण हो या प्रचार प्रसार, उनकी सेवाओं का उपयोग संबंधित राज्य सरकारों द्वारा बड़े पैमाने पर विभिन्न गतिविधियां संचालित करने के लिए किया जाता है।
खंडपीठ ने अलग और सहमति से घोषित किया कि समेकित बाल विकास योजना के तहत स्थापित आंगनवाड़ी केंद्रों में नियुक्त कार्यकर्ता और सहायिका ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम 1972 के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आईसीडीएस महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक विस्तारित शाखा है और आम आदमी को प्रदान की जाने वाली उनकी सेवाओं की प्रकृति को कानून द्वारा स्वीकार किया जाना चाहिए।