हैदराबाद। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि भारत के इतिहास को उचित तरीके से नहीं बताया गया और जिसे सुधारने का समय आ गया है।
संघ के सह सरकार्यवाह (संयुक्त महासचिव) डॉ मनमोहन वैद्य ने शुक्रवार को यहां संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के अंतिम दिन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के इतिहास में हमारे समृद्ध संस्कृति को नजरअंदाज किया गया। नए बच्चों को भारत की आध्यात्मिक संस्कृति से परिचित कराया जाना चाहिए।
डॉ वैद्य ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में एक राष्ट्र का विचार लेकर समाजिक वर्ग को जागरूक और संगठित करने के उद्देश्य से काम करते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वाधीनता के बाद विविध क्षेत्रों में स्वयंसेवकों का जाना हुआ और आज विभिन्न क्षेत्रों में 36 संगठनों के माध्यम से स्वयंसेवक कार्य कर रहे हैं। ये सभी संगठन स्वायत्त-स्वतंत्र हैं। इन संगठनों के निर्णय, अपने-अपने स्तर पर तय करते हैं।
इनमें काम करने वाले स्वयंसेवकों का समाज के अनेक वर्गों से संबध होता कुछ नए प्रयोग होते हैं, अपने प्रयोगों के अनुभव होते हैं, तो इन अनुभवों को साझा करने के लिए यह बैठक आयोजित की जाती है। इसमें कोई निर्णय नहीं लिया जाता।
डॉ वैद्य ने संघ के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि कोरोना की पहली लहर के बाद संघ की शाखाएं बंद हुई थीं जो दोबारा शाखाएं शुरू हुई हैं। अक्टूबर 2019 के मुकाबले अक्टूबर 2021 तक 93 प्रतिशत स्थानों पर कार्य प्रारंभ हो चुका है, 95 प्रतिशत दैनिक शाखाएं दोबारा शुरू हो चुकी हैं।
इसी प्रकार 98 प्रतिशत साप्ताहिक मिलन व 97 प्रतिशत मासिक शाखाएं प्रारंभ हो चुके हैं। 2017 से 2021 तक ‘ज्वाइन आरएसएस’ के माध्यम से प्रतिवर्ष एक से सवा लाख युवा संघ से जुड़ रहे हैं। देशभर में अभी 55,000 नित्य शाखाएं चल रहीं हैं।