लखनऊ । आमतौर पर तंबाकू को मुंह और गले के कैंसर के लिये जिम्मेदार समझा जाता है लेकिन गुटखा और सिगरेट के शौकीनो को जान लेना चाहिये कि उनकी यह लत उन्हे दिल की बीमारी की ओर तेजी से ढकेल रही है।
चिकित्सकों का मानना है कि तम्बाकू चबाने वालों को मुंह के कैंसर की संभावना तो हर समय होती ही है, साथ ही दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। जो लोग धूम्रपान करते हैं, उन्हे फेफड़े के कैंसर के अलावा टीबी और दमा जैसी घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। तम्बाकू के सेवन से देश में हर साल होने वाली 10 लाख मौतों में से 12 प्रतिशत दिल की बीमारियों के कारण होती हैं।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस की पूर्व संध्या पर किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (केजीएमयू) ने अपने परिसर में तम्बाकू के उत्पादों के इस्तेमाल पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। केजीएमयू के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने बताया कि उन्होंने संस्थान परिसर में तम्बाकू के उत्पादों गुटखा-पान आदि के सेवन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए यहां आने वाले लोगों के साथ-साथ नगर पालिका को भी सहयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि केजीएमयू में आने वालों की प्रवेश द्वारा पर ही रोक दिया जायेगा और जो गुटखा आदि खाने वाले पर कार्रवाई की जायेगी। इसके लिए सभी के सहयोग की जरुरत है । केवल प्रतिबंध के बोर्ड लिखकर लगाने से समस्या का हल नहीं होगा। परिसर के आसपास इसकी बिक्री पूरी तरह बंद होनी चाहिए।
केजीएमयू के रेस्पिरेटरी विभाग के प्रमुख प्रो0 सूर्यकांत ने कहा कि तंम्बाकू से सरकार को सालाना एक लाख करोड़ रूपये की आय होती है लेकिन इसके होने बीमारियों के इलाज पर करीब चार गुना खर्च करना पड़ता है1 उन्होने सरकार को आय का मोह छोडकर तंबाकू जनित उत्पादों पर तत्काल प्रतिबंध लगाना चाहिए। नर्सिक फकल्टी की डीन मधुमति गोयल ने बताया कि तम्बाकू से सबसे ज्यादा मुंह का कैंसर होता है। इसके खाने से महुं सफेद धब्बे होने लगते हैं और समय पर उपचार नहीं होने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल अस्पताल) चेस्ट रोड़ के वरिष्ठ परामर्शदाता डा0 अशोक यादव ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मैनपुरी और आसपास के लोगाें में तंबाकू चबाने की बढ़ती प्रवृत्ति से हजारों लोग मुंह के कैसर से पीड़ित है। इस इलाके में तम्बाकू की पैदावर काफी होती है। तम्बाकू उत्पादन के जहां इस क्षेत्र ने अपनी पहचान बना रखी हैं वहीं जानलेवा कैंसर की वजह बनती जा रही है। लोगों का कहना है कि यह तम्बाकू में सर्वश्रेष्ठ होती है, लेकिन इसी मैनपुरी तम्बाकू को खाने मैनपुरी वासी कैंसर का शिकार हो रहे हैं।
डा0 यादव ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मैनपुरी में मुंह के कैंसर के सबसे अधिक रोगी हैं। संगठन की रिपोर्ट के अनुसार हर 48 घण्टे में एक कैंसर का रोगी यहां पैदा होता है। मैनपुरी की तम्बाकू और गुटखा इसका मुख्य कारण है। रिपोर्ट में मैनपुरी में सर्वाधिक मुंह के कैंसर रोगी होने की बात कही गयी है और जिला अस्पताल के आंकडों के अनुसार जिले में प्रतिमाह पन्द्रह से सोलह कैंसर के रोगी मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि तंबाकू में निकोटीन, एसीटोन, फार्मिस्ट एसिड, ल्यूटारिक एसिड एवं फीनोल जैसे जहरीले तत्व होते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने बताया कि इस इलाके का तंबाकू इतना खतरनाक होता है कि इसको खाने से व्यक्ति का मुंह छोटा होने लगता है और व्यक्ति खाना खाने में भी दिक्कत महसूस करता है। गंभीर बात यह है कि यहां इसके इलाज की भी सुविधा नहीं है। मैनपुरी में मुंह के कैंसर रोगियों की बढती संख्या को देखते हुए राज्य सरकार ने यहां कैंसर यूनिट की स्थापना की घोषणा भी थी। उन्होंने बताया कि तंबाकू के सेवन से हर साल करीब दस लाख लोगों की मौत होती है।
यादव ने कहा कि इस तम्बाकू से होने वाली बिमारियों से बचने के लिए लोगों में जागरूकता लाना जरुरी है। इसके प्रति जागरुक करके इसे छोड़ने के साथ सहयोग करना और कोटपा एक्ट को प्रभावी बनाना है। तंबाकू के सेवन से मुंह, गले, भोजन नली में कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
उनका कहना है तंबाकू के सेवन से दिमाग और शरीर पर बहुत बुरा असर पड़ता है। इसलिए हमें लोगों पर तंबाकू के दुष्प्रभावों के बारे में अधिक जागरूकता लाना चाहिए। हमें शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को तंबाकू केे सेवन से होने वाले रोगों के बारे में बताने के साथ स्कूलों में बच्चों में जागरुता लाने की जरुरत है। सभी शैक्षणिक संस्थान से 100 मीटर के दायरे में सिगरेट या अन्य तंबाकू उत्पादों की बिक्री / खरीद पर प्रतिबंध है, लेकिन बिक्री पर कहीं कमी नजर नहीं आ रही है। लखनऊ में अस्पतालों और स्कूलों के आसपास धडल्ले से तम्बाकू उत्पादों की बिक्री जोरों पर है।
डा0 यादव ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में रोगियों की भीड़ के लिए तम्बाकू सेवन भी जिम्मेदार है। आंकड़ों के अनुसार देश भर में करीब 2739 लोग तंबाकू एवं अन्य धूम्रपान उत्पादों के कारण कैंसर तथा अन्य बीमारियों से हर रोज दम तोड़ देते हैं।
उन्होंने बताया कि तम्बाकू का सेवन पुरुषों पर ही नहीं महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है। विशेष रुप से गर्भवती महिलाओं इस दौरान धुआंरहित तंबाकू का सेवन करती हैं, उनमें एनीमिया (खून की कमी) होने का खतरा 70 फीसदी अधिक होता है। महिलाओं में धुआंरहित तंबाकू उपयोगकर्ताओं में मुंह के कैंसर का खतरा पुरुषों की तुलना में आठ गुना अधिक होता है। इसी तरह धुआं रहित तंबाकू सेवन करने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा पुरुषों की तुलना में चार गुना ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि सरकार को तम्बाकू खाने पर प्रतिबंध लगाने की जरुरत है।