बॉलीवुड। हिंदी सिनेमा में अमरीश पुरी को दमदार अदाकारी और सबसे बड़े विलेन के रूप में याद किया जाता है। अमरीश पुरी जब फिल्मी पर्दे पर प्रकट होते थे तब पर्दा भी उनके खौफ की वजह से कांप जाता था। अमरीश पुरी के कई किरदार ऐतिहासिक बन गए, जिन्हें दर्शक आज भी याद करते हैं। उनकी संवाद अदायगी भी इतनी बेजोड़ रहती थी कि अभिनेताओं पर भी कई बार भारी पड़ जाती थी।
80 से लेकर 90 के दशक तक अपनी शानदार एक्टिंग की बदौलत हिंदी सिनेमा में राज किया था। आज ये बॉलीवुड के महान विलेन हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन लाखों दर्शकों में अमरीश पुरी की अदाकारी आज भी दिलो-दिमाग में छाई हुई है। हिंदी सिनेमा के सबसे बड़े खलनायक अमरीश पुरी की आज पुण्यतिथि है, आइए आज उनके अभिनय के बारे में बात की जाए।
22 जून 1932 को अमरीश पुरी का पंजाब में हुआ था जन्म
बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार अमरीश पुरी का जन्म पंजाब के नौशेरा गांव में 22 जून 1932 को हुआ था। शिमला के बी एम कॉलेज से पढ़ाई की। अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरुआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की थी। बाद में उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा शुरुआत में वह रंगमंच से जुड़े। अमरीश पुरी, पृथ्वी राज कपूर के ‘पृथ्वी थियेटर’ में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुए। उसके बाद अमरीश पुरी की कड़क और रौबदार आवाज बॉलीवुड में एक अलग पहचान बननी शुरू हो गई थी।
वर्ष 1971 में पहली फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ से की थी शुरुआत
अमरीश पुरी ने बॉलीवुड में 40 की उम्र के बाद कदम रखा था। इसके बावजूद भी वह जल्द ही फिल्मी पर्दे पर छा गए थे। उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1971 की फिल्म ‘प्रेम पुजारी’ से की थी। इस फिल्म में उनका रोल बहुत छोटा था। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘रेशमा और शेरा’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया था। अमरीश पुरी का सफर वर्ष 1980 के दशक में यादगार साबित हुआ। यहां से हिंदी सिनेमा में अमरीश पुरी की पहचान बहुत तेजी के साथ बनने लगी थी।
इन फिल्मों ने अमरीश पुरी को बॉलीवुड में ‘विलेन नंबर वन’ बना दिया था
अमरीश पुरी के अभिनय से सजी कुछ मशहूर फिल्मों में ‘निशांत’, ‘गांधी’,’ शक्ति ‘नगीना’, विधाता ‘राम लखन’, ‘त्रिदेव’, ‘फूल और कांटे’, ‘विश्वात्मा’, ‘दामिनी’, ‘करण अर्जुन’, ‘कोयला’ ‘मिस्टर इंडिया’,’तहलका’, ‘घायल’, ‘घातक’ ‘जानी दुश्मन’, ‘दिलवाले दुल्हनियां’ ले जाएंगे, ‘गदर,’ आदि में अपनी एक्टिंग जलवा बिखेरा। यह फिल्म में ऐसी रहीं जिसमें दर्शकों ने खलनायकी की अदाकारी को याद किया। फिल्मों में अमरीश पुरी के बेहतरीन डायलॉग्स को भी उनके फैंस आज भी याद करते हैं। उन्होंने इंटरनेशनल फिल्म ‘गांधी’ में ‘खान’ की भूमिका निभाई था जिसके लिए उनकी दर्शकों ने जबरदस्त तारीफ की थी।
मिस्टर इंडिया का डायलॉग ‘मोगैंबो खुश हुआ’ आज भी देशभर में प्रसिद्ध है
वर्ष 1987 में आई शेखर कपूर की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में उनके ‘मोंगैंबो’ की खलनायकी भूमिका ने दर्शकों को उनका दीवाना बना दिया। अमरीश पुरी का बोला गया डायलॉग ‘मोगैंबो खुश हुआ’ आज भी देश भर में प्रसिद्ध है। दर्शकों ने उन्हें नकारात्मक भूमिकाओं के साथ-साथ सकारात्मक भूमिकाओं में भी पसंद किया। इसके बाद वर्ष 1990 में आई फिल्म ‘दिलवाले दुल्हानियां ले जायेंगे’ में दर्शकों ने उनके सकारात्मक भूमिका के जरिए सबका दिल जीत लिया। फिल्म तहलका का डायलॉग ‘डॉन कभी रॉन्ग नहीं होता’ ने दर्शकों में अलग छाप छोड़ी। ऐसे ही दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे से ‘जा सिमरन जा जी ले अपनी जिंदगी’ जैसे तमाम डायलॉग्स को कभी भुलाया नहीं जा सकता। विलेन के किरदार निभाने के लिए अमरीश पुरी को कई बार अवार्ड भी मिले।
12 जनवरी 2005 को फिल्म इंडस्ट्रीज के महान विलेन ने कहा दुनिया को अलविदा
लगभग तीन दशक तक दर्शकों के दिलों में राज करनेवाले अभिनेता अमरीश पुरी ने लगभग 250 फिल्मों में काम किया था। अमरीश पुरी का 12 जनवरी 2005 को 72 वर्ष के उम्र में ब्रेन ट्यूमर की वजह से निधन हो गया। इसके साथ ही बॉलीवुड ने अनोखा हीरा खो दिया था। उनके अचानक हुए इस निधन से बॉलीवुड जगत के साथ-साथ पूरा देश शोक में डूब गया था। उनके जीवन की अंतिम फिल्म ‘किसना’ थी जो उनके निधन के बाद वर्ष 2005 में रिलीज हुई।
उन्होंने कई विदेशी फिल्मों में भी काम किया। अमरीश पुरी जब फिल्मों में अपने विलेन के किरदार को निभाते थे तो दर्शक हीरो से ज्यादा उनके लिए तालियां बजाते हैं। अमरीश पुरी जैसे महानायक सदी में एक ही बार पैदा होते हैं, सिनेमा प्रेमी उनको हमेशा याद रखेंगे।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार