सबगुरु न्यूज-सिरोही। जिला भाजपा की आर संरचना होगी। जिलाध्यक्ष और चार प्रदेश प्रतिनिधियों के लिए शांति नगर स्थित जिला भाजपा कार्यालय में आज 12 बजे से आवेदन लिए जाएंगे।
इस बार आवेदन के साथ ही नाम वापसी का पत्र भी लिया जाएगा, जिसे निर्विवादित और गैर राजनीतिक भाषा में सहमति पत्र का नाम दिया गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार ऐसा पहली बार हो रहा है कि आवेदन के साथ ही सहमति पत्र भी लिया जा रहा हो, इससे पहले सहमति से आवेदन विड्रॉ करवाया जाता था। भाजपा के सिरोही के संगठन चुनाव प्रभारी दिनेश भट्ट ने बताया कि संरचना में जो आवेदन आएंगे, उनके अनुसार आवेदन प्रदेश संगठन के भेज दिए जाएंगे। वहां पर अंतिम निर्णय होगा।
-उम्र का तकाजा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भाजपा राष्ट्रीय संगठन ने मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्षों के लिए अधिकतम आयु 40 और 50 वर्ष रखी है। चुनाव प्रभारी दिनेश भट्ट ने बताया कि उम्र सीमा साठ वर्ष का खयाल रखा जाएगा। इससे पहले सिरोही भाजपा के 17 मंडलों में से 11 मंडलों की संरचना करने के लिए नए मंडल अध्यक्षों को मनोनयन किया जा चुका है। इस मनोनयन में भी उम्र का खयाल नहीं रखे जाने को लेकर भाजपा में अंदरखाने चर्चा का बाजार गर्म है।
-जिलाध्यक्ष के साथ चार प्रदेश प्रतिनिधि
मंगलवार को होने वाली संरचना में जिलाध्यक्ष और चार प्रदेश प्रतिनिधियों के लिए आवेदन होंगे। तीनों विधानसभा क्षेत्रों से एक एक प्रदेश प्रतिनिधि बनाए जाएंगे, एक प्रदेश प्रतिनिधि महिला होगी। इस तरह से सभी वर्गों को साधने के प्रयास किए जाएंगे। जिलाध्यक्ष के लिए एक प्रस्तावक और समर्थक की आवश्यकता होगी जो सक्रिय सदस्य होना अनिवार्य है। इसके अलावा एक प्रस्तावक समर्थक किसी दूसरे आवेदन का प्रस्तावक समर्थक नहीं बन सकेगा।
इस बार जिलाध्यक्ष के लिए आवेदन करने वालों की फेहरिस्त में समर्थकों की मंशानुसार जो दस प्रमुख नाम जो उभरकर सामने आ रहे हैं उनमें वर्तमान जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित, पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी, ओटाराम देवासी, पायल परसरामपुरिया, विरेन्द्र चौहान, अशोक पुरोहित, सुरेश कोठारी, दिनेश बिंदल, सुरजपालसिंह अरठवाड़ा शामिल हैं। यूं जिलाध्यक्ष प्रदेश को ही तय करना है और प्रदेश द्वारा तय जिलाध्यक्ष पर शेष आवेदकों की सहमति के लिए सहमति पत्र पहले ही ले लिया जाएगा। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि संरचना के नाम पर चुनाव प्रभारी तय करके चुनाव की प्रक्रिया अपनाई जरूर जा रही है, लेकिन जिलाध्यक्ष बिना चुनाव के ही तय होगा।
-बचा पाएगी पलायन
जिले में नगर निकाय चुनावों में भाजपा की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में पंचायत राज चुनाव से पहले संरचना करना एक चुनौति है। भाजपा के सामने सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न ये है कि वो इसमें जिलाध्यक्ष के पद पर उस वर्ग को अपना प्रतिनिधि बनाती है जिस वर्ग के मतदाता अपनी अवहेलना के कारण विधानसभा और नगर निकाय चुनावों में भाजपा से विमुख हो चुके हैं।
या भाजपा के उन मतदाताओं के प्रतिनिधियों को बनाएगी, जिनके लिए भाजपा के अलावा कहीं ठोर ठिकाना नहीं है। फिलहाल दो चुनावों में अवहेलना के कारण संगठन से विमुख होने वाला वर्ग भाजपा की सत्ता की राह में ज्यादा समस्या बन रहा है, ऐसे में इन पर भाजपा कितना ध्यान रख पाती है यह महत्वपूर्ण है।