चेन्नई। भारत तकनीकी के क्षेत्र में पीछे मुड़ने का नाम ही नहीं ले रहा हे। भारत तकनीकी के क्षेत्र में काफी देशो को पीछे छोड़ चूका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) भारत के लिए नई नई तकनीक का आविष्कार कर रहा हे। जो की आने वाले समय में भारत के लिए काफी गर्व की बात होगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने उच्च क्षमता वाले एस बैंड संचार उपग्रह जीसैट-6ए का गुरुवार को सफल प्रक्षेपण किया।
तमिलनाडु के श्रीहरिकाेटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 2140 किलोग्राम वजनी इस उपग्रह का जीएसएलवी -एफ08 रॉकेट के जरिये प्रक्षेपण किया गया। उड़ान भरने के लगभग 18 मिनट बाद यह उपग्रह रॉकेट से अलग होकर 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित हो गया।
49.1 मीटर लंबे और 415.6 टन वजनी इस रॉकेट ने 27 घंटे की उल्टी गिनती के बाद 1656 बजे सफलतापूर्वक उड़ान भरी। रॉकेट को चेन्नई से लगभग 80 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र के द्वितीय लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया।
इसरो का अध्यक्ष पद संभालने के बाद पहली सफलता हासिल करने वाले डॉ के सिवन ने प्रसन्नता जताते हुए कहा कि इस सफल प्रक्षेपण से भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के नये युग का उदय होगा। उन्होंने कहा कि उपग्रह को भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। यह जीसैट-6 के साथ उन्नत तकनीक के विकास का प्लेटफॉर्म बनेगा। यह जीएसएलवी की 12वीं अौर स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ छठी सफल उड़ान है।
डॉ. सिवन ने कहा कि जीएसएलवी के उन्नत संस्करण से इसरो के लिए इसी श्रेणी के तीन हजार किलोग्राम वजनी उपग्रह के प्रक्षेपण का रास्ता साफ होगा। दूसरे चरण में नये विकास इंजन की मदद से रॉकेट को अतिरिक्त शक्ति मिली है।
जीसैट-6ए, जीसैट-6 की ही तरह उच्च क्षमता वाला एस बैंड संचार उपग्रह है और अपनी श्रेणी में दूसरा है। इसकी मिशन अवधि 10 वर्ष की है। भारत इससे पहले जीसैट-6 लांच कर चुका है। यह नया उपग्रह, अगस्त 2015 से धरती की कक्षा में चक्कर लगा रहे जीसैट-6 की मदद के लिए भेजा गया है।
इस नए उपग्रह में ज्यादा ताकतवर संचार पैनल्स और उपकरण लगाए गए हैं। इस उपग्रह में लगा छह मीटर का कॉम्पैक्ट एंटीना धरती पर कहीं से भी उपग्रह के जरिये कॉलिंग को आसान बना देगा। इससे देश में उपग्रह आधारित मोबाइल कॉलिंग और संचार को बहुत आसान बनाया जा सकेगा। यह उपग्रह विकासशील प्रौद्योगिकी के लिए मंच भी मुहैया कराएगा।