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मोबाइल टावर को लेकर ओटाराम देवासी के खिलाफ परंपरागत मतदाताओं ने की नारेबाजी - Sabguru News
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मोबाइल टावर को लेकर ओटाराम देवासी के खिलाफ परंपरागत मतदाताओं ने की नारेबाजी

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मोबाइल टावर को लेकर ओटाराम देवासी के खिलाफ परंपरागत मतदाताओं ने की नारेबाजी
सिरोही के कुम्हारवाड़ा क्षेत्र में रिहायशी इलाकों में भवन पर मोबाइल टावर इंस्टालेशन करने के विरोध में सड़क पर विरोध जताते कुम्हारवाड़ा के लोग।
सिरोही के कुम्हारवाड़ा क्षेत्र में रिहायशी इलाकों में भवन पर मोबाइल टावर इंस्टालेशन करने के विरोध में सड़क पर विरोध जताते कुम्हारवाड़ा के लोग।
सिरोही के कुम्हारवाड़ा क्षेत्र में रिहायशी इलाकों में भवन पर मोबाइल टावर इंस्टालेशन करने के विरोध में सड़क पर विरोध जताते कुम्हारवाड़ा के लोग।

सबगुरु न्यूज-सिरोही। रिहायशी इलाके में भवन के उपर मोबाइल टावर के इंस्टाॅलेशन को लेकर मंगलवार को सिरोही के कुम्हारवाड़ा के लोगों का गुस्सा उफान पर था। स्थानीय विधायक ओटाराम देवासी द्वारा उनकी समस्या पर ध्यान नहीं देने और मोबाइल टावर इंस्टालेशन पर अडकर कथित रूप से कुम्हारवाड़ा के लोगों पर रेडियेशन के प्रभाव को नजरअंदाज करने के लिए महंत लहरभारती के खिलाफ भी लोगों का गुस्सा बरपा।

विधायक देवासी और महंत लहरभारती द्वारा लोगों की समस्या को कथित रूप से दरकिनार करने पर स्थानीय लोगों के बुलावे पर जब सोमवार को पूर्व विधायक संयम लोढ़ा को वहां बुलवाया तो महिलाओं, पुरुषों, बुजुर्गों और बच्चों को गुस्सा ओटाराम देवासी और महंत के खिलाफ फूट पड़ा।

इस पूरे प्रकरण सबसे संदिग्ध भूमिका सिरोही नगर परिषद के आयुक्त की रही है। वैसे लोढ़ा ने स्थानीय लोगों के साथ जाकर जब जिला कलक्टर को इस टावर की समस्या के बारे में बताया तो जिला कलक्टर ने इस प्रकरण की जांच तक टावर के इंस्टालेशन का काम रोकने के आदेश सिरोही नगर परिषद के आयुक्त को दिए।

इसके बाद नगर परिषद आयुक्त ने भवन के पट्टे की जांच होने तथा लोगों की आपत्ति होने के कारण टावर निर्माण का काम तुरंत रोकने के आदेश दिए हैं। आयुक्त ने आदेश की पालना नहीं होने पर कार्रवाई की चेतावनी भी इंडस टावर्स लिमिटेड को दी है।
-यह है मामला
सिरोही के कुम्हारवाड़ा इलाके में रेवानाथ अखाडे के महंत लहरभारती की एक सम्पत्ति है। नगर परिषद की ओर से वर्ष 2002 में स्टेट ग्रांट के तहत जारी पट्टे की भूखण्ड पर एकमंजिला मकाना बनाया गया है। इस मकान पर ही इंडस टावर लिमिटेड द्वारा एयरटेल कम्पनी का मोबाइल टावर इंस्टाॅल किया जा रहा है।

स्थानीय लोगों ने घनी आबादी वाले इस क्षेत्र में मोबाइल टावर स्थापित करने से लोगों में केंसर जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा जताते हुए नगर परिषद में इसकी आपत्ति दर्ज करवाई थी। नगर परिषद ने इस आपत्ति की सुनवाई के बिना ही यहां टावर इंस्टाॅल करने की अनुमति दे दी।

विरोध को देखते हुए इस भवन की छत पर शनिवार और रविवार को टावर इंस्टाॅलेशन का काम शुरू कर दिया गया। इससे लोगों में रोष व्याप्त हो गया। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि उन्होंने इसके लिए विधायक ओटाराम देवासी से बात की तो देवासी ने उन्हें इस प्रकरण के लिए न्यायालय में जाने की राय दी, वहीं महंत ने भी इस प्रकरण में लोगों के स्वास्थ्य के प्रति कोई संजीदगी नहीं दिखाई।

सिरोही के कुम्हारवाड़ा में वह भवन जहां पर पर मोबाइल टावर इंस्टाॅल किया जाना है।
सिरोही के कुम्हारवाड़ा में वह भवन जहां पर पर मोबाइल टावर इंस्टाॅल किया जाना है।

इस पर मोहल्ले के लोग पूर्व विधायक संयम लोढ़ा के पास पहुंचे। उनके अनुरोध पर लोढ़ा मंगलवार को जब कुम्हारवाड़ा पहुंचे तो महिला, पुरुषों को गुस्सा ओटाराम देवासी और महंत लहरभारती पर फूट गया। इस दौरान लोढ़ा लोगों के बीच बोलते हुए कहा कि केंसर के प्रति लोगों की चिंता जायज है। उन्होंने महंत और भाजपा द्वारा इस प्रकरण में सहयोग की आकांक्षा जताई। बाद में वे रैली के रूप में कलक्ट्रेट पहुंचे।

वहां पर जिला कलक्टर अनुपमा जोरवाल से मिलकर मोहल्ले के बुजुर्गों के साथ इस प्रकरण को बताया। निर्देश मिलने पर एडीएम आशाराम डूडी ने इस प्रकरण की जांच करके नियमसंगत कार्रवाई का आश्वासन दिया। बाद में जिला कलक्टर ने नगर परिषद आयुक्त को इस मोबाइल टावर के इंस्टाॅलेशन के प्रकरण की जांच होने तक काम रोकने के निर्देश जारी किए।
-नियमों की धज्जियां उडी
नगर परिषद के अधिकारी इस अनुमति को सही बता रहे हैं। लेकिन, खुद नगर परिषद के अधिकारियों द्वारा स्वायत्त शासन विभाग द्वारा इस संदर्भ में राजस्थान टेलीकाॅम इंफ्रास्ट्रक्चर पाॅलिसी, 2015 को दरकिनार कर दिया।

फरवरी 2017 को राजस्थान सरकार द्वारा जारी नियमों के अनुसार हाॅस्पीटल और स्कूलों की बाउंड्री के 15 मीटर की दूरी पर कोई भी टावर इंस्टाॅल नहीं किया जाएगा। जबकि इस टावर के दस से पंद्रह मीटर की दूरी पर ही आयुर्वेदिक हाॅस्पीटल है, जिसमें मरीज भती भी किए जाते हैं। इससे पहले 15 सितम्बर 2015 को जारी नियमो मेन भी यही प्रावधान किया था।

इस पाॅलिसी के अनुसार जिस भवन पर टावर लगाया जा रहा है उसके चारों ओर भवन की उंचाई के एक बटे आठ के बराबर सेटबेक होना चाहिए। यहां जिस भवन पर टावर लगाया जा रहा है उसके चारों तरफ कोई सेटबेक नहीं है। टावर के नौ मीटर की दूरी पर किसी उच्च विद्युत लाइन के नहीं होने की भी शर्त है जबकि यहां पर टावर से मात्र 5 मीटर की एरियल डिस्टेंस पर 11 केवी की लाइन निकल रही है। जिस भवन पर टावर को इंस्टाॅल किया जा रहा है वहां पर सड़क की चैड़ाई 30 फीट होनी चाहिए, जबकि कुम्हारवाड़ा के प्रकरण में यह चैड़ाई दस फी से भी कम है।

दस्तावेजों के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस भवन पर यह टावर लगाया जा रहा है उसका पट्टा महंत लहरभारती के नाम से अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को दिया जाने वाला स्टेट ग्रांट एक्ट का पट्टा है, जबकि लहरभारती जानकारी के अनुसार लहरभारती अनुसूचित जाति-जनजाति से संबद्ध नहीं हैं। पट्टे की शर्तों के मुताबिक इस पर स्वामित्व लहरभारती का हो सकता है, लेकिन वह इसका इस्तेमाल सिर्फ आवासीय कार्य के लिए ही कर सकते हैं। स्टेट ग्रांट एक्ट का पट्टा उन लोगों को दिया जाता है जो पूरी तरह से भूमिहीन होना चाहिए।

-कलक्टर से काम रुकवा सकते थे काम
राजस्थान टेलीकाॅम इंफ्रास्ट्रक्चर पाॅलिसी, 2015 के अनुसार टेलीकाॅम टावर इंस्टाॅलेशन की शिकायत के लिए जिला स्तर पर गठित जिला स्तरीय टेलीकाॅम समिति को की जा सकती है। इस समिति के अध्यक्ष जिला कलक्टर होते हैं। इसके अलावा इसमें एक दर्जन अन्य सदस्य होते हैं। कथित रूप से जब कुम्हारवाडा वालों ने विधायक ओटाराम देवासी को फोन किया था उस समय वह जिला कलक्टर के कहकर यह काम रुकवा सकते थे और प्रकरण की जांच करवा सकते थे।

राजस्थान में मोबाइल टावर इंस्टाॅलेशन के लिए बनाए गए नियमों को यूडीएच का लिंक….

http://urban.rajasthan.gov.in/content/dam/raj/udh/udh%20department/pdf/Orders%20and%20Circulars/9.pdf