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Triangular fight likely in Ramgarh assembly bypoll on January 28-अलवर : बसपा ने रामगढ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बनाया - Sabguru News
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अलवर : बसपा ने रामगढ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बनाया

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अलवर : बसपा ने रामगढ सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय बनाया

अलवर। अलवर जिले के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र के लिए 28 जनवरी को होने वाले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

इस सीट पर मुख्य रूप से कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के बीच टक्कर है। दो लाख 34 हजार मतदाताओं वाली इस विधानसभा सीट पर एक लाख दस हजार महिला मतदाता और एक लाख चौबीस हजार पुरुष मतदाता मताधिकार का उपयोग करेंगे।

यह चुनाव कांग्रेस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। राज्य में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद हो रहा यह चुनाव न केवल उसकी साख का निर्धारण करेगा बल्कि यह राज्य सरकार के एक महीने के कार्यकाल पर जनता की राय भी स्पष्ट करेगा।

भाजपा और बसपा के लिए यहां खोने के लिए कुछ खास नहीं है, जबकि इस सीट पर कांग्रेस सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है। उसे 99 के आंकड़े को भी पार करना है साथ ही जनता में अपनी लोकप्रियता भी साबित करनी है। लिहाजा रामगढ़ विधानसभा सीट कांग्रेस हर हाल में जीतना चाहती है। यही वजह है कि राज्य सरकार के कई मंत्री अलवर में डेरा डाले हुए हैं। पार्टी के बड़े नेता भी अलवर आ रहे हैं।

25 जनवरी को खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट रामगढ़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। कांग्रेस के समर्थन में अब तक राजस्थान सरकार की मंत्री ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, विश्वेंद्र सिंह ,रघु शर्मा, टीकाराम जूली, अशोक चांदना, भजन लाल जाटव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवेंद्र यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, बीज निगम के पूर्व अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए आ चुके हैं।

जातीय समीकरण के चलते कुछ नेता उन इलाकों में जा रहे हैं जहां उनकी जाति के वोट हैं। मंत्री रघु शर्मा तो पिछले 10 दिन से अलवर में ही डेरा डाले हुए हैं।

प्रचार प्रसार में कांग्रेस यहां भाजपा पर भारी लग रही है, लेकिन अंदरूनी कलह उसके लिए बड़ी बाधा बन गई है। यहां प्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस प्रत्याशी साफिया खान का विरोध हो रहा है। उन्हें टिकिट दिए जाने से स्थानीय कांग्रेसी असंतुष्ट हैं। उनके व्यवहार से कार्यकर्ता भी नाराज हैं। उनके विवादास्पद बयान से मतदाताओं में भी नाराजगी है, लिहाजा कांग्रेस के लिए यह चुनाव आसान नहीं लग रहा है।

दूसरी और भाजपा यहां खास ताकत नहीं लगा रही है। पार्टी के उम्मीदवार सुखवंत सिंह के पक्ष में अब तक बड़े नेता यहां नहीं आए हैं। प्रदेशाध्यक्ष मदन लाल सैनी, पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी, ज्ञानदेव आहूजा, राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त रहे जवाहर सिंह बेढ़म, प्रदेश संगठन मंत्री चंद्रशेखर जिला प्रभारी शैलेंद्र भार्गव सहित कुछ नेता भाजपा के प्रचार में जुटे हैं।

वहीं बहुजन समाज पार्टी के प्रचार के लिए भी अब तक कोई बड़ा नेता सामने नहीं आया है। खुद बसपा प्रत्याशी जगत सिंह और उनके पिता पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ही ताल ठोके हुए हैं। उनके नेता बड़ी रैली एवं रोड शो करने की बजाय घर-घर जाकर और नुक्कड़ सभाएं करके जनता से समर्थन मांग रहे हैं।

स्थानीय जानकारों के अनुसार रामगढ़ अलवर जिले का सबसे संवेदनशील विधानसभा क्षेत्र है। यहां हर चुनाव में धार्मिक मुद्दे मुख्य भूमिका निभाते रहे हैं, लिहाजा यहां विकास का मुद्दा गौण हो जाता है। यहां चुनाव राजस्थान विधानसभा चुनावों के साथ ही सात दिसंबर को होने थे, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद यहां मतदान स्थगित हो गया था।

दिलचस्प पहलू यह है कि लक्ष्मण सिंह की मौत के बाद उनके परिजनों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। अब मतदाता भी पसोपेश में है कि प्रत्याशी को देखकर वोट दें या सरकार के साथ चलें। यहां का मतदाता अगर प्रत्याशी को देखकर मतदान करता है तो यहां भाजपा के प्रत्याशी अन्य प्रत्याशियों पर भारी पड़ रहे हैं। विकास के मुद्दे पर मतदान हुआ तो मतदाता सरकार के साथ जा सकते हैं।

इस सीट पर वर्ष 1990 से कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव जुबेर खान और भाजपा के नेता ज्ञानदेव आहूजा लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। यहां से एक बार कांग्रेस जीतती है तो दूसरी बार बीजेपी। यहां की विशेषता है कि यहां विधायक विरोध पक्ष का चुना जाता रहा है। इसलिए उनकी सत्ता में भागीदारी नहीं रहती। यह सिलसिला वर्ष 2013 में थमा जब सरकार भी भाजपा बनी और विधायक भी पार्टी का ही चुना गया। अब यह बात कही जा रही है कि अगर कांग्रेस का प्रत्याशी जीतता है तो यहां सत्ता में भागीदारी मिलेगी और क्षेत्र का विकास होने की सम्भावना भी है।

राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो पहली बार रामगढ़ विधानसभा चुनाव में बसपा एक ताकत के रूप में उभर सकती है। यहां जातीय समीकरण और पूर्व मंत्री नटवर सिंह के प्रभाव के चलते बसपा प्रत्याशी जगत सिंह भी प्रभावी नजर आ रहे हैं। यहां कांग्रेस ने पूर्व विधायक जुबेर खान का टिकट काटकर उनकी पत्नी साफिया खान को प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा का टिकट काटकर लक्ष्मणगढ़ के पूर्व प्रधान सुखवंत सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया।

बहुजन समाज पार्टी ने यहां पहले लक्ष्मण सिंह को प्रत्याशी बनाया था लेकिन उनकी मौत के बाद कामां से भारतीय जनता पार्टी के विधायक रहे जगत सिंह को प्रत्याशी बनाया। जगत सिंह को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। इससे नाराज होकर वह बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए।