आबूरोड (सिरोही)। सिरोही जिले की आबूरोड तहसील के आदिवासी बाहुल्य भाखर क्षेत्र के निचलागढ़ पंचायत की साटट्टीया फली के सूरदास कहलाने वाले एक दृष्टिहीन पुजारी एक अनोखी प्रतिभा के धनी हैं।
यूं तो इनका नाम रमा और पिताजी का नाम नगा है। जाति गरासिया रमा फिलहाल मारकुण्डेश्वर महादेव मंदिर निचलागढ़ में पुजारी के रुप में सेवा दे रहे हैं। आदिवासी लोग इन्हें श्रद्धा-स्वरूप बावसी कहते हैं।
अज्ञानता से खोई दोनों आंखे
जब ये 13 साल के हुए तब इनका सिरदर्द हुआ किसी ने बताया कि आक के पत्ते बांधने पर वापस कभी दर्द नहीं होता है। बहकावे में आकर दो आक के पत्ते बांध दिए, रात को पसीने के साथ पत्तों का दूध आंखों में जाते ही वे दोनों आंखो से दिखना बंद हो गया। लाख इलाज करवाने के बाद भी आंखों की रौशनी नहीं लौटी।
प्रतिदिन बिना सहारे 6 किमी पैदल आवागमन
बावसी रमा की दिनचर्या भी कुछ कम नहीं है, फुर्सत मिलते ही अकेले ही लकड़ी के सहारे घर से दूर मंदिर जाकर शाम को लौट आते हैं, रास्ते में यातायात के साधन सवार स्वयं साइड में हो जाते हैं।
लाखों का हिसाब चंद मिनटों में
इसे अतिश्योविक्त ही भले ही कहा जाए लैकिन हकीकत ये ही हैं की बावसी रमाजी नोटो और सिक्कों की गणना चुटकी में कर लेते हैं।