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राजनीति में तृणमूल कांग्रेस काला अध्याय : बाबुल सुप्रियोि-हिंदी समाचार
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राजनीति में तृणमूल कांग्रेस काला अध्याय : बाबुल सुप्रियो

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राजनीति में तृणमूल कांग्रेस काला अध्याय : बाबुल सुप्रियो
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राजनीति में तृणमूल कांग्रेस काला अध्याय : बाबुल सुप्रियो

नयी दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस की ओर से असम में सिल्चर हवाई अड्डे की घटना के विरोध में शनिवार और रविवार को काला दिवस मनाये जाने के निर्णय पर कटाक्ष करते हुए कहा कि काला झंडा तृणमूल के लिए ही है।

सुप्रियो ने एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा की वास्तव में तृणमूल कांग्रेस देश की राजनीति में काले अध्याय का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए जब भी वे काला झंडा उठाते हैं या अपनी प्रोफ़ाइल को काले रंग में डालते हैं। यह वास्तव में उनके लिए उपयुक्त है। वे सत्य के करीब हैं। असम के सिल्चर हवाई अड्डे पर गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को हिरासत में लिए जाने की घटना के खिलाफ पार्टी ने राज्य के प्रत्येक ब्लॉक में शनिवार और रविवार को काला दिवस मनाये जाने की घोषणा की है।

तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्थ चटर्जी ने कोलकाता में कहा, की अगले दो दिनों तक हमारे कार्यकर्ता काली पट्टी पहनेंगे और पश्चिम बंगाल के प्रत्येक ब्लॉक में काला दिवस मनायेंगे। वे केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करेंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, की असम में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को हिरासत में लेने के मामले का बंगाल से कोई लेना देना नहीं है। यहां कुछ नहीं हुआ तब भी वे यहां विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं।

गौरतलब है कि असम के सिल्चर हवाई अड्डे पर गुरुवार को तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को हिरासत में ले लिया गया था। इस प्रतिनिधिमंडल के आठ सदस्यों में से चार लोकसभा सांसद- काकोली घोष दस्तीदार, रत्ना डे नाग, ममताबाला ठाकुर और अर्पिता घोष तथा दो राज्यसभा सांसद सुखेंदू शेखर रॉय और नदीमुल हक और बंगाल के केबिनेट मंत्री फिरहद हकीम और विधायक महुआ मोइत्रा शामिल थे। आपराधिक दंड संहिता की धारा 144 के लागू होने के कारण तृणमूल के नेताओं को शहर में प्रवेश करने से रोका गया था।

इस प्रतिनिधिमंडल के नेता असम में विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से नाम हटाए गये लोगों से बात करने और उनसे मिलने आये थे। उल्लेखनीय है कि एनआरसी के अंतिम मसौद के प्रकाशित होने से 40 लाख लोग इससे प्रभावित हुये है।