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triple talaq bill in rajya sabha live updates in hindi - Sabguru News
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लैंगिक समानता, न्याय एवं गरिमा के लिए है तीन तलाक निषेध विधयेक | रविशंकर प्रसाद

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लैंगिक समानता, न्याय एवं गरिमा के लिए है तीन तलाक निषेध विधयेक | रविशंकर प्रसाद
Triple Talaq bill is a matter of gender justice, dignity and equality, says Ravi Shankar Prasad
Triple Talaq bill is a matter of gender justice, dignity and equality, says Ravi Shankar Prasad
Triple Talaq bill is a matter of gender justice, dignity and equality, says Ravi Shankar Prasad

नयी दिल्ली | विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज राज्यसभा में कहा कि मुस्लिम समाज में प्रचलित तीन तलाक (तलाक -ए- बिद्दत) कु-प्रथा का निषेध करने से संबंधित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 लैंगिक समानता, न्याय एवं गरिमा के लिए हैं और इससे लंबे समय चली रही एक कुरीति का खात्मा हो जाएगा

प्रसाद ने सदन में यह विधेयक चर्चा के लिए पेश करते हुए कहा कि मौजूदा विधेयक में कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों की आपत्तियों का निराकरण कर दिया गया है। इस कानून के तहत दर्ज होने वाले मामले में जमानत हो सकेगी और संबंधित मामला केवल पीड़िता या उसके खून के रिश्तें के परिजन ही दर्ज करा सकेंगे। इसके अलावा अदालतों में दोनों पक्षों के बीच समझौता भी हो सकेगालोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। यह विधेयक मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) द्वितीय अध्यादेश 2019 के स्थान पर लाया गया है

उन्होेंने कहा कि सरकार इस कानून को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार बना रही हैन्यायालय ने वर्ष 2013 में सायरा बानो मामले में एक साथ तीन तलाक बोलकर विवाह समाप्त करने को गैर इस्लामी और गैर कानूनी करार दिया था और सरकार को इस संबंध में कानून बनाने का कहा था।

उन्होंने कहा कि दुनिया के 26 मुस्लिम देश तीन तलाक कुप्रथा को गैर कानूनी घोषित कर चुके हैं। पड़ोसी देश बंगलादेश में भी यह गैर कानूनी है। सबसे पहले 1936 में मिस्र ने इस तीन तलाक कू-प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया था।

प्रसाद ने कहा कि मामूली शिकायतों के आधार बनाकर तलाक दिये जा रहे हैं जिससे महिलाओं को बेहद दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यह इंसानियत का मामला है और इससे नारी को न्याय, समानता और गरिमा मिलेगी

उन्होंने कहा कि यह नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है और इसे राजनीतिक चश्में से नहीं देखा जाना चाहिए और समाज के एक वर्ग को केवल वोट बैंक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बेटियां आज के समय में ओलंपिक में पदक जीत रही है और लडाकू विमान उड़ा रही है। समाज के एक तबके की बेटियों को फुटपाथ पर नहीं छोडा जा सकता