नयी दिल्ली | राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने तीन तलाक विधेयक को मुसलमानों का घर तोड़ने वाला बताते हुए इसे प्रवर समिति के पास भेजने की मांग की है और कहा है कि इस विधेयक में उनके सुझाव और आपत्तियों को नहीं शामिल किया गया है। आजाद की इस मांग का समर्थन सभी विपक्षी दलों , अन्नाद्रमुक और वाई एस आर कांग्रेस ने भी की किया।
कांग्रेस नेता ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण )विधेयक -2019 पर मंंगलवार को चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि यह विधेयक मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के लिए नहीं बल्कि मुस्लिम पतियों को जेल भेजने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी मुसलमानों के घर को घर के चराग से ही जला देना चाहती है और इस लिए वह यह विधेयक ले कर आयी है। इस विधेयक को लाने के पीछे उसका मकसद दूसरा है। वह मुसलमानों का घर बर्बाद करना चाहती है और उनके खानदान ही ख़त्म करना चाहती है।
आजाद ने कहा कि इस्लाम में निकाह एक सामाजिक कॉन्ट्रैक्ट है लेकिन यह सरकार तीन तलाक को संज्ञेय अपराध बनाना चाहती है। इसलिए पति को तीन साल की सजा दे रही है। अगर पति जेल में रहेगा तो बीबी को मुआवजा कैसे मिलेगा और बच्चों की देखभाल कौन करेगा। सरकार तो मदद करेगी नहीं और पैसे देगी नहीं तो इससे परिवार बर्बाद हो जायेगा।
उन्होंने कहा कि यह तर्क देना गलत है कि मुस्लिम देशों में तीन तलाक नहीं है, लेकिन वहां तो हाथ काट लेने और कोड़े बरसाने की सजा भी है, तो क्या कल हम तालिबान और इस्लामिक स्टेट की तरह यह वह सब होने देंगे? उन्होंने कहा ,“ हमारा मुल्क किसी का मोहताज़ नहीं है। हम अपनी सोच रखते हैं। उच्चतम न्यायलय ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार कर दिया है इसलिए अब इस कानून का क्या औचित्य है ? उच्चतम न्यायलय के फैसले को लागू करने में आप विफल रहे।”
उन्होंने कहा ,“ उच्चतम न्यायालय ने मोब लिंचिंग पर भी कानून बनाने के लिए सरकार को कहा, पर आपकी रूचि उस में नहीं। आप राजनीती से प्रेरित होकर सत्ता के नशे में यह काम कर रहे हैं। आप सभी महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का विधेयक क्यों नहीं लाते? आप मुसलमानों के पर्सनल ला के खिलाफ हैं लेकिन हिन्दू ,पारसी ,जैन और ईसाई महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए क्यों नही कुछ करते ? इस विधेयक को आप प्रवर समिति के पास भेजिए, कांग्रेस आपका समर्थन करेगी।”