अगरतला। त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को आगामी स्वायत्त जिला परिषद (ADC) के ग्राम समिति चुनाव और राज्य विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा झटका उस समय लगा जब पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने गुटबाजी और नेताओं के बीच सत्ता की लड़ाई का आरोप लगाते हुए गुरुवार को इस्तीफा दे दिया।
कुछ महीने पहले कैलाशहर के मंडल अध्यक्ष के रूप में चुने गए रानावीर भट्टाचार्य ने संगठन में निहित स्वार्थ के बात करते हुए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा को अपना कर्तव्य जारी रखने में असमर्थता व्यक्त करते हुए डाक से अपना इस्तीफा भेज दिया।
भट्टाचार्य ने अपने पत्र में कहा कि श्रम मंत्री भगवान दास के करीबी कुछ राजनीतिक नेताओं की मनमानी के कारण उनके लिए संगठन का प्रबंधन करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि मंडल अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, मैंने उन सभी भ्रष्ट लोगों को हटाकर संगठन को नया रूप देने की कोशिश की, अन्यथा वे लोग भाजपा के लिए हानिकारक साबित हो जाते लेकिन इस कदम से पार्टी नेताओं के उस वर्ग के नेताओं के साथ कई असहमतियां पैदा हो गई जो मंत्री के करीबी हैं।
उन्होंने कहा कि कैलाशहर के विभिन्न बूथों के बूथ अध्यक्षों को बिना बताए उन्हें हटा दिया गया और नए बूथ अध्यक्ष नियुक्त किए गए। राज्य के नेता उनकी जानकारी के बिना पार्टी की बैठकें करते रहे हैं। दुर्भाग्य से मामला राज्य समिति के संज्ञान में लाया गया, लेकिन कोई सुधारात्मक उपाय नहीं किया गया।
उन्होंने पत्र में शिकायत की कि बड़ी संख्या में निर्वाचित पंचायत सदस्य, जो मंत्री दास के करीबी है, भ्रष्टाचार और कई असामाजिक गतिविधियों में लिप्त है। इसकी जानकारी कई बार पार्टी को दी गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई बल्कि भट्टाचार्जी अलग-थलग पड़ गए।
राज्य के अनुभवी भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि कई वरिष्ठ नेता जो कभी पार्टी संगठन के निर्माण के शिल्पकार थे और त्रिपुरा 2018 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार स्थापित की थी, कथित तौर पर पार्टी और सरकार के कामकाज पर आपत्ति जताने के बाद उन्हें किनारे कर दिया गया है। इस पार्टी ने अब त्रिपुरा में अपना सारा गौरव और विश्वसनीयता खो दी है।