अक्सर इस सवाल को उठाया ही जाता है कि हिंदू धर्म को सनातन क्यों कहते हैं? क्या है इस सनातन का असली अर्थ?सनातन का शाब्दिक अर्थ तो जगजाहिर है। इसका सामान्य रूप से मतलब होता है ‘जो हमेशा से मौज़ूद रहा है’ यानि जिसकी उत्पत्ति और जन्म से किसी का कोई सरोकार न हो और वह वस्तु या व्यक्ति या सिद्धांत नित्य हो। यानि अजन्मा जैसा धर्म या जीवन पद्धति, जिसके विकास की धारा अनवरत रही हो।
हिंदू धर्म के प्रमुख गुण है उदारता, सहिष्णुता व परोपकार जिससे हिन्दू धर्म का सदैव सरंक्षण होता रहा है। कुछ लोग सोचतें हैं कि अन्य धर्मों के प्रति उदारता तथा सहिष्णुता का भाव दिखाना हिन्दू धर्म की कमजोरी है जिसके कारण इस्लाम और मसीही मत के प्रचारकों ने कई हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन किया है। किन्तु यहाँ उल्लेखनीय है कि हिन्दुओं के इस्लाम और मसीही मत के अंतर्गत आने से इन धर्मों के मूलस्वरूप में कई परिवर्तन आ गए हैं। हिन्दू धर्म के अनेक आचार- विचार उनमें शामिल हो गए हिन्दुओं की जाति व्यवस्था भी भारतीय इस्लाम और मसीही मत में अच्छी तरह से प्रविष्ट और व्यवस्थित हो गयी।
हिन्दू धर्म किसी एक व्यक्ति को समस्त धर्म का प्रवक्ता या पैगम्बर नहीं मानता, यधपि वह प्रत्येक धर्म- प्रवक्ता या पैगम्बर की शिक्षा को महत्व देता है । जहाँ अन्य देशों के मतों ने धर्म को किसी एक व्यक्ति और उसकी परम्पराओं से जोड़ा वहीँ हिन्दू धर्म ने धर्म को उस रूप में प्रकट करने का प्रयत्न किया जीवन व परम्पराओं में विद्यमान रहते हुए भी एक सामान्य धर्म है जो व्यक्ति और समाज से निरपेक्ष है। हिन्दू धर्म अन्य धर्मो से अलग धर्म व मत में अंतर करता है। हिन्दू धर्म में भी अनेक मत है जैसे शंकराचार्य मत, रामानुज मत, अभिनवगुप्त मत आदि। इसी कारण हिन्दू धर्म के कई सम्प्रदाय है।
यह सबूत बताते हैं कि विश्वभर में फैला हुआ था हिन्दू धर्म-
- कंबोडिया का हिन्दू सम्राज्य : विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक कंबोडिया में स्थित है। यह कंबोडिया के अंकोर में है जिसका पुराना नाम ‘यशोधरपुर’ था। इसका निर्माण सम्राट सूर्यवर्मन द्वितीय (1112-53ई.) के शासनकाल में हुआ था। यह विष्णु मन्दिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासकों ने प्रायः शिवमंदिरों का निर्माण किया था। कंबोडिया में बड़ी संख्या में हिन्दू और बौद्ध मंदिर हैं, जो इस बात की गवाही देते हैं कि कभी यहां भी हिन्दू धर्म अपने चरम पर था।
- अफ्रीकी में हिन्दू : भगवान शिव कहां नहीं हैं? कहते हैं कण-कण में हैं शिव, कंकर-कंकर में हैं भगवान शंकर। कैलाश में शिव और काशी में भी शिव और अब अफ्रीका में शिव। साउथ अफ्रीका में भी शिव की मूर्ति का पाया जाना इस बात का सबूत है कि आज से 6 हजार वर्ष पूर्व अफ्रीकी लोग भी हिंदू धर्म का पालन करते थे।
साउथ अफ्रीका के सुद्वारा नामक एक गुफा में पुरातत्वविदों को महादेव की 6 हजार वर्ष पुरानी शिवलिंग की मूर्ति मिली जिसे कठोर ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है। इस शिवलिंग को खोजने वाले पुरातत्ववेत्ता हैरान हैं कि यह शिवलिंग यहां अभी तक सुरक्षित कैसे रहा।
हाल ही में दुनिया की सबसे ऊंची शिवशक्ति की प्रतिमा का अनावरण दक्षिण अफ्रीका में किया गया। इस प्रतिमा में भगवान शिव और उनकी शक्ति अर्धांगिनी पार्वती भी हैं। बेनोनी शहर के एकटोनविले में यह प्रतिमा स्थापित की गई। हिन्दुओं के आराध्य शिव की प्रतिमा में आधी आकृति शिव और आधी आकृति मां शक्ति की है।