रानी लक्ष्मी बाई | बात उस समय की है जब अंग्रेज अपनी राज्य हड़प नीति के अनुसार अधिक से अधिक राज्यों को अपना निशाना बना रहे थे , तभी कुछ देशभक्तों के अंदर विद्रोह के बादल उमड़ उठे।
(अर्थात विद्रोह की भावना जाग उठी)
झांसी की रानी जो पहले ही अंग्रेजो के खिलाफ थी। इस अवसर को कैसे गवा आ सकती थी । मौके का फायदा उठा उसने क्रांति को और तेज हवा दी और अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह की योजना बनाई ।
झांसी को छोड़ने का आदेश न मानने पर जैसे ही अंग्रेजों ने झांसी पर हमला बोला ।। रानी समझ गई कि यह उनकी झांसी को हड़पने की एक चाल है, पर फिर भी वह मरदानी अंग्रेजों से आक्रमण कर उनका सामना करने के लिए बिल्कुल तैयार थी ।
बुंदेली हर बोलो के मुंह से, हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी।।
किसी भी प्रकार का प्रलोभन जिसे कर्तव्य पालन से विमुख न कर सका। जिसके उदार और उच्च लक्ष्यों को झिंझोड़ ना सका। जिसके आत्मविश्वास और स्वाभिमान को तोड़ ना सका। ऐसी वीरांगना थी झांसी रानी लक्ष्मी बाई
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली वीर योद्धा लक्ष्मी बाई जिसने अपने साहस पर अंग्रेजों से लोहा लिया और लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गई ऐसी वीरांगना को सह्रषो नमन
डॉ मीना कुमारी सोलंकी चरखीदादरी निमली , हरियाणा