‘माँ’ शब्द से मीठा शायद ही कोई और शब्द होगा। इसे सुनते ही मन में भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। उम्र का चाहे कोई पड़ाव क्यों न हो, पर माँ के लिए हम हमेशा बच्चे ही रहते हैं और वो उसी तरह, बिना अपनी फिक्र किए, हम पर अपना सब कुछ वारती रहती हैं, जैसे वो हमारे बचपन में किया करती थी। लाड़ और दुलार, छोटी -छोटी बातों पर फिक्र करना, हमारी गलती होने पर भी हमें प्यार से समझाना, अपना सर्वस्व न्यौछावर करके भी सदैव मुस्कुराते रहना, ये सब तो कोई माँ से सीखे। माँ के महत्व को हर किसी ने समझा और महसूस किया है और इसी खास रिश्ते को सम्मान और इसके प्रति प्रेम एवं आभार प्रकट करने के लिए मातृ दिवस यानि मदर्स डे को सम्पूर्ण विश्व में पूरे जोर -शोर के साथ मनाया जाता है।
अच्छी परवरिश माँ की देन
एक माँ न केवल एक नए जीवन को इस दुनिया में लाती है, बल्कि अपना पूरा जीवन अपनी संतान की अच्छी परवरिश और उसके कल्याण में गुजार देती है। इसीलिए कहा गया है कि माँ का ऋण हम कभी भी नहीं उतार सकते। वह हमें सही गलत की शिक्षा देती है और मार्गदर्शन भी प्रदान करती है।
माँ परिवार निर्माण में अहम भूमिका
एक माँ परिवार निर्माण में अहम भूमिका निभाती और समाज की धुरी बन सभी रिश्तों को सहेजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस अटूट रिश्ते का, साथ ही हर माँ और सभी मातृत्व संबंधी रिश्तों के प्रति अपनी श्रद्धा और आभार जताने का अवसर हमें मदर्स डे के रूप में मिलता है। इसीलिए यह दिन हर माँ और हर बच्चे के लिए बहुत खास होता है, और इसे पूरी दुनिया में बड़े ही हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति नींव है माँ
भारत में भी हर वर्ष 11 मई के दिन बड़े ही उत्साह के साथ मदर्स डे को मनाया जाता है। हमेशा से ही भारतीय संस्कृति में माँ को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। भारतीय समाज और संस्कृति ने सदैव नारी का सम्मान करना सिखाया है और विशेष रूप से माँ के अस्तित्व और महत्व को सराहा है। भारतीय संस्कृति, धरती को भी धरती माँ कहती है, प्रकृति और गौ माता को भी माँ की श्रेणी में उच्च स्थान पर रखा गया है, क्योंकि ये सभी जीवन दायिनी माँ का स्वरुप है।
मदर्स डे का इतिहास
ग्राफटन वेस्ट वर्जिनिया की रहने वाली एना जार्विस को आधुनिक मदर्स डे का श्रेय जाता है। उन्होंने सभी माताओं और मातृत्व सम्बन्धी रिश्तों को सम्मान देने के लिए इस दिन को शुरू किया था। आज यह दिन दुनिया के हर कोने में मनाया जाता हैं। इतिहास में भी इस दिन से मिलते -जुलते अनेक विशेष दिवसों के उदाहरण हैं। ऐसा माना जाता है कि माँ की पूजा प्राचीन ग्रीस में शुरू हुई थी। स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, जिनके सम्मान में त्यौहार मनाया जाता था। एशिया और रोम में भी वसंत के समय “इदेस ऑफ मार्च” मनाते थे। यूरोप और ब्रिटेन में भी एक विशिष्ट रविवार पर लोग माँ को सम्मानित करते थे , जिसे मदरिंग सन्डे कहते थे ।