अजमेर। दक्षिण एशिया के देशों में पर्यटन उद्योग के विकास हेतु असीम सम्भावनाएं मौजूद है जरूरत इस बात की है कि दक्षिण एशिया के देशों की सरकारे उस दिशा में मिल का ऎसे स्थानों की सूची बना कर उन्हें विश्व परिदृश्य पर रेखाकित कर उनका विकास करें जो वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। यह बात शुक्रवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष व कोटा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ पीके दशोरा ने दयानन्द महाविद्यालय के सभागार में कही।
दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्टी के समापन समारोह में बोलते हुए डॉ दशोरा ने कहा कि दक्षिण एशियाई देशों में अनेक सांस्कृतिक समाजिक आर्थिक राजनैतिक वनस्पतिक धार्मिक पराम्पागत ऎतिहासिक भौगोलिक सामाजिक विरासते मौजूद है जिनका विकास अभी शेष है ओर उक्त विरासतों की जानकारी वर्तमान में विश्व के पर्यटन पटल से कोसों दूर है दक्षिण ऎशिया के कई देश अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए अनेक उपायों पर काम कर रहे हैं परन्तु पर्यटन उद्योग की ओर वर्तमान में मजबूती के साथ काम करने की आवश्यक्ता है।
यदि दक्षिण ऎशिया के देश मिलकर एक साझा कार्यक्रम के तहत पर्यटन क्षेत्र के लिए काम करते है तो वह दिन दूर नही जब विश्व के पर्यटन नक्शे पर दक्षिण एशिया सिरमौर होगा। मुख्य अतिथि डॉ दशोरा ने अपने उद्बोधन में प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत कला व संस्क्तियों का धनी राष्ट्र है भारत आने वाला पर्यटक दक्षिण एशिया जरूर जाए व दक्षिण एशिया के देशों में आने वाले पर्यटक भारत की भूमि पर पनपी विश्व विरासत को जरूर देखने आए तभी सार्क देशों की अर्थव्यवस्था को आधार मिलेगा।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डीएवी कॉलेज अमृतसर के प्राचार्य डॉ राजेश कुमार ने अपने उद्बोधन में बताया कि दक्षिण एशिया में प्रकृति द्वारा अनेक ऎसी रचनाएं प्रदान की गई है जिसे देखने की तमन्ना हर व्यक्ति की होगी परन्तु जानकारी के अभाव में ऎसा होना संभव नहीं हो पा रहा है। इस अवसर पर बोलते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डीएवी कॉलेज नकोदर के प्राचार्य डॉ अनूप कुमार ने पर्यटन उद्योग के अनेक आयामों पर विस्तार से अपनी बात रखी।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय प्र्यावारण विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो प्रवीण माथुर द्वारा दक्षिण एशिया में प्र्यटन की अपार समभावना व चुनौतियों पर अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि पर्यटन विभाग राजस्थान सरकार के उपनिदेशक आरएल तुनवाल ने राजस्थान में पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटकों के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं व योजनाओं के क्रियान्वयन मे आ रही समस्याओं पर सबका ध्यान आकर्षित किया।
मीडिया प्रभारी डॉ संत कुमार ने बताया कि संगोष्ठी में कीनिया से आए विधार्थी जोशो ने अपने विचार व्यक्त किए। इससे पूर्व सभी अतिथियों द्वारा सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर डीएवी गान के साथ कार्यक्रम का विविवत शुभारम्भ किया।
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ लक्ष्मीकांत द्वारा सभी आतिथियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा अतिथियों का परिचय कराया। महाविद्यालय उपाचार्य डॉ मुत्युन्जय कुमार सिंह ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कर्णधार डॉ अनिरूद्य कुमार रैना द्वारा सभी प्रतिभागियों व अतिथियों का आभार प्रकट किया गया।