जयपुर। निरंतर सुख के अनुभव का आकर्षण मनुष्य के प्रत्येक कृत्य की प्रेरणा होती है परंतु संपूर्ण मानव जाति जिसके लिए लालायित रहती है, उस आनंदप्राप्ति के विषय में आज के किसी विद्यालय और महाविद्यालय में शिक्षा नहीं दी जाती। नामजप और स्वभावदोष-अहं निर्मूलन प्रक्रिया करने से सर्वोच्च एवं शाश्वत सुख अर्थात आनंद की प्राप्ति हो सकती है।
ये बात महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की डॉ. स्वाती मोदी जयपुर में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य सम्मेलन 2019 में वक्ता के रूप में कही। Iconference नई दिल्ली की ओर से आयोजित सम्मेलन में डॉ. मोदी ने तनावग्रस्त विश्व में आनंद और शांति की खोज विषय पर शोधनिबंध का वाचन किया। महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक हैं तथा डॉ. स्वाती मोदी और शॉन क्लार्क सहायक लेखक हैं।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया यह 57वां शोधनिबंध था। इससे पहले 14 राष्ट्रीय एवं 42 अंतररराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलनों में विविध विषयों पर शोधनिबंध प्रस्तुत किए गए हैं। इनमें से तीन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत शोधनिबंधों को सर्वोत्कृष्ट शोधनिबंध पुरस्कार मिला है।
डॉ. स्वाती मोदी ने आगे कहा कि जीवन में आनेवाली समस्याओं के कारण हम दुखी हो जाते हैं। इससे हमारे मन की शांति एवं सुख प्रभावित होते हैं। हमारे जीवन में विद्यमान समस्याओं के तीन मूलभूत कारण होते हैं शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक। हमारे जीवन की 50 प्रतिशत से अधिक समस्याओं के मूल में आध्यात्मिक कारण ही होते हैं जिनका प्रकटीकरण शारीरिक अथवा मानसिक समस्याओं के रूप में हो सकता है।
ये आंकडे आध्यात्मिक शोध से प्राप्त हुए हैैं। आध्यात्मिक कारणों में प्रारब्ध (भाग्य), पूर्वजों के अतृप्त लिंगदेह एवं सूक्ष्म जगत की अनिष्ट शक्तियां, ये तीन प्रमुख हैं। समस्या के निराकरण के लिए उसके मूल कारण पर प्रहार करना पडता है। जब किसी समस्या का मूल कारण आध्यात्मिक होता है, तब उसका उपाय भी आध्यात्मिक होता है। आध्यात्मिक उपाय से शारीरिक और मानसिक समस्याओं के निराकरण में भी सहायता होती है, विशेषरूप से तब, जब इन समस्याओं का मूल कारण आध्यात्मिक होता है।
इस अवसर पर डॉ. स्वाती मोदी ने आनंदप्राप्ति हेतु दो प्रमुख प्रयासों के विषय में बताया। पहला प्रयास नामजप, जिसे प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने धर्म के अनुसार कर सकता है। वर्तमान में, ॐ नमो भगवते वासुदेवाय एक अत्यंत उपयुक्त नामजप है। श्री गुरुदेव दत्त नामजप पूर्वजों के कारण होने वाले कष्टों से व्यक्ति की रक्षा करता है। दूसरा प्रयास है, स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया अपनाना। इससे मन में व्याप्त स्वभावदोषों के संस्कार नष्ट हो सकते हैं। इस प्रकार, व्यक्ति यदि प्रामाणिकता से प्रयास करे, तो उसे आनंदस्वरूप ईश्वर की अनुभूति निश्चित होगी।