नई दिल्ली। राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष तथा एक अन्य सदस्य के इस्तीफे पर सरकार ने सफाई देते हुए आज कहा कि उन्होंने पिछले कुछ महीने में अपनी चिंताओं को आयोग की बैठकों में नहीं रखा।
आयोग के अध्यक्ष पीसी मोहन और सदस्य डॉ. जेवी मीनाक्षी ने सोमवार को अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया था। उनका कहना है कि रोजगार पर एनएससी के आंकड़े जारी नहीं करने के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया है।
उन्होंने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ समय से उन्हें लग रहा था कि उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। एनएससी में हाल में हुये फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा था इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया है। दोनों का कार्यकाल 27 जून 2020 को पूरा हो रहा था।
सात सदस्यीय आयोग में तीन पद पहले से ही खाली थे। अब आयोग में सिर्फ दो सदस्य रह गए हैं। इनमें से एक नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत इसके पदेन सदस्य हैं जबकि दूसरे सदस्य भारत के मुख्य सांख्यिकीविद प्रवीण श्रीवास्तव हैं जो एनएससी के सचिव हैं। दोनों सरकारी सदस्य हैं।
सरकार की तरफ से जारी आधिकारिक स्पष्टीकरण में कहा गया है कि दोनों सदस्यों ने अपनी चिंताओं को पिछले कुछ महीने में आयोग की बैठकों में जाहिर नहीं किया था। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय न सिर्फ आयोग के लिए सम्मान रखता है बल्कि उसके सुझावों को भी तरजीह देता है और उन पर उचित कदम उठाता है।
रोजगार के आंकड़े जारी करने में देरी के बारे में सरकारी बयान में कहा गया है कि देश में 93 प्रतिशत लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं और इसलिए इन आंकड़ों में प्रशासकीय आंकड़ों को मिलाकर उन्हें बेहतर बनाने की जरूरत है। इसी कारण जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 के बीच के छह तिमाही आंकड़े अब तक जारी नहीं किए गए हैं, लेकिन इन आंकड़ों को जल्द जारी किया जाएगा।