सबरीमला। केरल के सबरीमला स्थित भगवान अयप्पा मंदिर में दर्शन के लिए गयी दो महिलाओं को अयप्पा श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने बुधवार को बिना दर्शन के ही वापस भेज दिया।
केरल के कन्नूर स्थित इरानिक्कावु की रेशमा निशांत और शालिमा सजेश ने छह पुरुषों के साथ पंबा पहुंचकर सुबह साढ़े चार बजे भगवान अयप्पा के दर्शन करने के लिए अपनी यात्रा शुरू की। इनके नीलिमाला वॉटर टैंक पहुंचने पर कुछ अयप्पा श्रद्धालुओं ने इनका रास्ता रोक दिया।
इसके बाद अन्य अयप्पा भक्त भी इस प्रदर्शन में शामिल हो गये। सहायक पुलिस आयुक्त ए. प्रदीप के नेतृत्व में पुलिस टीम ने प्रदर्शनकारी श्रद्धालुओं में से पांच को गिरफ्तार कर लिया।
दोनों महिलाएं भगवान अयप्पा के दर्शन करने की जिद पर अड़ी रहीं और उन्होंने इसके लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस के संरक्षण की मांग की। पुलिस ने श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के मद्देनजर कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए उन्हें पुलिस संरक्षण देने से इंकार कर दिया।
दोनों महिलाएं दर्शन करने के इरादे पर अटल थीं लेकिन अयप्पा श्रद्धालु अयप्पा मंत्रों को जाप करते हुए महिलाओं की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे जिसके बाद पुलिस ने दोनों महिलाओं को सुरक्षित पंबा स्टेशन तक पहुंचाया।
महिलाओं ने पुलिस द्वारा जबरन वापस भेजे जाने और पुलिस संरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल की घोषणा की। इस बीच केरल के देवास्वोम मंत्री कडकमपल्ली सुरेंद्रन ने कहा कि महिलाओं को वापस भेजने वाले ‘इंसान’ नहीं हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी केरल यात्रा के दौरान मंगलवार को राज्य की मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार के सबरीमला मुद्दे पर अपनाए गए रुख पर कहा कि वामपंथी सरकार की कार्रवाई शर्मनाक है। मोदी ने यह भी कहा कि कम्युनिस्ट देश के इतिहास, संस्कृति और आध्यात्म का बिलकुल सम्मान नहीं करते।
प्रधानमंत्री ने राज्य सरकार के भगवान अयप्पा भक्तों के प्रति अपनाये गये रूख की निंदा करते हुए कहा कि किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि वे परंपराओं, रीति-रिवाजों और अध्यात्म के खिलाफ विद्वेषपूर्ण रवैया अपनाएंगे।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने सबरीमला मामले में अपना फैसला देते हुए सभी आयु की महिलाओं को अयप्पा मंदिर जाकर दर्शन करने की इजाजत दी है।