श्रीगंगानगर। राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ शहर के सरकारी अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन किए जाने के बाद दो महिलाओं की मौत हो गई, जिसे लेकर आज दिन भर हंगामा होता रहा।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने अस्पताल परिसर में धरना लगा दिया। प्रशासन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से तीन दौर की वार्ताओं के पश्चात शाम को समझौता हुआ। दोनों मृत महिलाओं के परिवारजनों को 10-10 लाख के मुआवजे का आश्वासन दिया गया है। ऑपरेशन करने वाले चिकित्सालय प्रभारी डॉक्टर को पदस्थापन की प्रतीक्षा(एपीओ) में रहने के आदेश दिए गए हैं।
अतिरिक्त कलेक्टर ने आगामी आदेश तक सूरतगढ़ सरकारी अस्पताल में नसबंदी ऑपरेशन करने पर रोक लगा दी है। मृत महिलाओं के परिजनों से कहा गया है कि अगर वे डॉक्टरों पर लापरवाही का मुकदमा दर्ज करवाना चाहते हैं, तो करवा सकते हैं। यह समझौता होने पर शाम को दोनों महिलाओं के परिवारजनों को अंतिम संस्कार के लिए ले गए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सूरतगढ़ के सरकारी अस्पताल में कल शनिवार चिकित्सालय प्रभारी डॉ दर्शन सिंह द्वारा 8 महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन किए गए थे। इनमें दो महिलाओं को ऑपरेशन के दो-तीन घंटे बाद छुट्टी दे दी गई। एंबुलेंस 104 से दोनों महिलाओं को घर भेज दिया गया।
इनमें एक महिला शारदा (28) पत्नी आत्माराम भाट निवासी चक 2पीपीएम पदमपुरा की तबीयत घर आने के कुछ ही देर बाद बिगड़ने लगी। परिजन उसे लेकर शाम 7 बजे वापस अस्पताल पहुंचे। लगभग एक घंटे बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद रात्रि लगभग 10 बजे एक और महिला संतोष (35) पत्नी पतराम नायक निवासी करणीसर को भी वापस गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया। लगभग एक घंटे बाद उसकी भी मृत्यु हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उस समय शारदा के शव को परिवारजन लेकर जाने ही वाले थे, लेकिन संतोष की मृत्यु का पता चलने पर रुक गए। दोनों के परिवार जनों ने आरोप लगाने शुरू कर दिए की ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरती गई है।
भारी हंगामे के बाद दोनों पक्षों में वार्ता में तय हुआ कि पीड़ित पक्षों को विभागीय जन कल्याण कोष के 2-2 लाख के अलावा 50-50 हजार मुख्यमंत्री राहत कोष से दिलवाए जाएंगे। इसके अलावा साढे सात लाख- साढ़े सात लाख के विशेष प्रस्ताव कलेक्टर के माध्यम से राज्य सरकार को भिजवा कर यह राशि दिलवाई जाएगी।