नई दिल्ली। छोटे तथा मझोले शहरों के लिए किफायती टिकट उपलब्ध करा कर उन्हें विमानन नेटवर्क में शामिल करने के उद्देश्य से शुरू की गई केंद्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) यानी ‘उड़ान’ को यात्रियों का अच्छा प्रतिसाद मिला है और अब तक इसके तहत औसतन 71 प्रतिशत सीटें भरी जा रही हैं।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार ‘उड़ान’ की शुरुआत से 20 जनवरी 2019 तक आरसीएस के तहत कुल 23,461 उड़ानों में 12,11,151 यात्रियों ने यात्रा की और भरी सीटों का अनुपात 71 प्रतिशत रहा। इनमें आरसीएस के तहत सरकार द्वारा तय अधिकतम किराये वाली सीटों की बिक्री 7,13,115 रही जबकि बाजार मूल्य पर एयरलाइंस ने 4,98,036 सीटों की बिक्री की।
उल्लेखनीय है कि ‘उड़ान’ के तहत सरकार हर मार्ग पर कुल सीटों में से कंपनियों को आधी सीटों को योजना के तहत रखना होता है जिनके लिए दूरी के हिसाब से अधिकतम किराया सरकार ने तय कर दिया है। इनसे होने वाले नुकसान की भरपाई सरकार एयरलाइंस को करती है। अन्य सीटें बाजार मूल्य पर बेचने के लिए ऑपरेटर स्वतंत्र हैं।
प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि कुछ मार्गों को जहां यात्रियों का बेहतर प्रतिसाद मिल रहा है और 90 प्रतिशत या उससे ज्यादा सीटें भरी हुई जा रही हैं, वहीं कुछ मार्गों पर अधिकतम किराया तय होने के बाद भी यात्री नहीं मिल रहे हैं।
मुंबई-कांडला मार्ग पर भरी सीटों का औसत (पीएलएफ) 94 प्रतिशत और कांडला-मुंबई मार्ग पर 90 प्रतिशत है। इन मुंबई-पोरबंदर मार्ग पर पीएलएफ 93 प्रतिशत है। इन तीनों मार्गों पर स्पाइसजेट ने 10 जुलाई 2017 को सेवा शुरू की थी। आदमपुर-दिल्ली मार्ग पर स्पाइसजेट ने एक मई 2018 को सेवा शुरू की थी। इस मार्ग पर पीएलएफ 91 फीसदी है।
स्पाइसजेट द्वारा ही परिचालित दिल्ली-कानपुर मार्ग पर पीएलएफ 94 प्रतिशत, कानपुर-दिल्ली मार्ग पर 90 प्रतिशत, कोलकाता-पाकयोंग मार्ग पर 90 प्रतिशत और किशनगढ़-दिल्ली मार्ग पर 92 प्रतिशत है। इनका परिचालन जुलाई 2018 से अक्टूबर 2018 के बीच शुरू किया गया था। इंडिगो द्वारा चालित इलाहाबाद-बेंगलुरु मार्ग पर पीएलएफ 92 प्रतिशत है।
पीएलएफ के मामले में एयर डेक्कन और एयर ओडिशा की हालत सबसे खराब है जबकि बड़ी विमान सेवा कंपनियां अच्छी स्थिति में हैं। एयर ओडिशा के सभी मार्गों पर 60 प्रतिशत या इससे ज्यादा सीटें खाली जा रही हैं। ‘उड़ान’ के जरिये दक्षिण भारत की क्षेत्रीय विमान सेवा कंपनी से राष्ट्रीय स्तर की ऑपरेटर बनने वाली ट्रूजेट का प्रदर्शन अच्छा रहा है तथा हर मार्ग पर उसका पीएलएफ 60 प्रतिशत या इससे अधिक रहा है। जूम एयर का पीएलएफ भी 53 से 60 फीसदी के बीच है।
जिन मार्गों पर बड़ी कंपनियां भी यात्रियों को लुभाने में विफल रही हैं उनमें हुबली-चेन्नई-हुबली (पीएलएफ 33 प्रतिशत), कोलकाता-लीलाबाड़ी (28 प्रतिशत), लीलाबाड़ी-कोलकाता (31 प्रतिशत), देहरादून-पंतनगर (34 प्रतिशत), ग्वालियर-इंदौर (34 प्रतिशत) और इंदौर-ग्वालियर (38 प्रतिशत) शामिल हैं।