भारत के हर राज्य की सरकारें कोरोना से निपटने के लिए दिन-रात तैयारियों में लगी हुई है, लेकिन एक ओडिशा ऐसा राज्य है जो कि अपनी पूरी तैयारी करके निश्चिंत है।
इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कोरोना वायरस से समय रहते हुए ही अपनी पूरी तैयारी कर ली थी। अभी तक ओडिशा में कोरोना संक्रमित से एक भी मौत नहीं हुई है और भारत में सबसे कम केवल 4 मरीज ही संक्रमित पाए गए हैं। सरकार ने राज्य के 5 जिले और 8 प्रमुख शहरों को 22 मार्च से 29 मार्च तक लॉकडाउन कर दिया था। हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने 24 मार्च से पूरे देश में लॉकडाउन घोषित कर दिया।
इस दौरान केवल बैंक, एटीएम, दवाखाना, राशन दुकान एवं अन्य अहम एजेंसियों को खुला रखने के निर्देश दिए। नवीन पटनायक सरकार ने कोरोना के खिलाफ परिवार की फिक्र छोड़ और अपनी जान की बाजी लगाकर सेवा में जुटे डाॅक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ और हेल्थकेयर कर्मचारियों को 4 महीने का एडवांस वेतन अप्रैल महीने में ही एक साथ देने की घोषण की है।
कोरोना से लड़ने के लिए राज्य सरकार के साथ लोगों की भी है अहम भूमिका
कोरोना से लड़ने के लिए ओडिशा राज्य सरकार के साथ लोगों की भी अहम भूमिका रही। इस राज्य के लोगों ने सरकार के दिशा निर्देश का शत-प्रतिशत पालन किया। कोरोना की लड़ाई में सोशल डिस्टेंसिंग का भी खास ध्यान रखा जरा है। राज्य के सभी जिलों में मॉल एवं मार्ट के माध्यम से लोगों को राशन के साथ अन्य जरूरी सामान होम डिलीवरी की जरिए भिजवाई जा रही है। ताकि सोशल डिस्टेंशिंग मेनटेन हो सके। राज्य में सब्जी और राशन के दुकानों को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रखने का निर्देश है।
दुकानों पर सामान की खरीदारी के वक्त एक-मीटर की दूरी बनना अनिवार्य है। इस नियम का उल्घंन करने वाले पर कानूनी कार्रवाई दर्ज किया जाएगा।ओडिशा की कमान पिछले 20 साल से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के हाथों में है। इस दौरान में पटनायक ने कई बार प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला किया। उन्हें आपदाओं से निटपने और तैयारी कराने में कुशल रणनीतिकार माना जाता है। पिछले सालों में केरल, तमिलनाडु समेत कई अन्य राज्यों ने भी आपदा के समय में ओडिशा सरकार की मदद ली थी।
ओडिशा के लोगों को प्राकृतिक आपदा सहने की आदत पड़ गई है
ओडिशा की जनता और राज्य सरकार को जैसे प्राकृतिक आपदा सहने की आदत पड़ गई हो यहां पिछले 20 सालों में कई प्राकृतिक आपदा ऐसे आई कि कई लोगों की जान चली गई थी और राज्य तहस-नहस हो गया था लेकिन वहां के लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और फिर दोबारा उठ खड़े हुए। ओडिशा की समुद्री सीमा 450 किलोमीटर लंबी है। इसलिए ओडिशा को बार-बार प्राकृतिक आपदाओं की मार करने की आदत पड़ गई है। 1999 में आए एक चक्रवाती तूफान के चलते ओडिशा में करीब 15 हजार लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी।
तकरीबन 16 लाख लोगों को बेघर हो गए थे। इसके बाद ओडिशा ने आपदा प्रबंधन का तंत्र बनाया, जो अब मिसाल बन चुका है। इसके बाद ओडिशा में 2013 में थाईलीन, 2014 में हुदहुद, 2018 में तितली और 2019 में बुलबुल और फोनी जैसे चक्रवाती तूफान का सामना करना पड़ा। ओडिशा सरकार ने आपदाओं से निपटने के लिए ओडिशा आपदा अनुक्रिया बल का गठन किया है। आज देश के किसी भी राज्य में प्राकृतिक आपदा जब आती है तब ओडिशा राज्य से सहायता ली जाती है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार