नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोरोनो महामारी के कारण लॉकडाउन को देखते हुए कॉलेज और विश्वविद्यालय में जुलाई में अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने की सिफारिश की है जबकि शुरू के सेमेस्टर का रिजल्ट आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा।
यूजीसी की ओर से जारी नए दिशा निर्देशों के अनुसार जिन राज्यों में कोरोना कि स्थिति सामान्य है वहां शुरू के सेमेस्टरों की परीक्षएँ आयोजित की जा सकेंगी। यूजीसी ने बुधवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल के साथ बैठक में इन सिफारिशों को अंतिम रूप दिया।
गौरतलब है कि यूजीसी ने छात्रों के दाखिले और परीक्षा आयोजित करने बारे में सिफारिशें देने के लिए को हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आर सी कुहाड़ की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। समिति ने अपनी रिपोर्ट पिछले दिनों सौंप दी थी और उसके बाद 27 अप्रैल को यूजीसी ने इस पर विचार विमर्श किया था।
आज समिति की उन सिफारिशों के आधार पर यूजीसी ने नए दिशा निर्देश जारी किए। बैठक में शिक्षा सचिव अमित खरे और यूजीसी के अध्यक्ष प्रोफेसर डी पी सिंह और समिति के अध्यक्ष कुहाड़ भी थे।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से देर रात जारी की गई विज्ञप्ति के अनुसार ये दिशा निर्देश बाध्यकारी नहीं होंगे बल्कि हर विश्विद्यालय अपने हिसाब से उसमें बदलाव भी कर सकेगा लेकिन परीक्षा में समाजिक दूरी और स्वास्थ्य सुरक्षा का ख्याल रखा जाएगा। एमफील और पीएचडी के छात्रों को अपनी थीसिस जमा करने के लिए छह माह का समय बांध दिया गया है और वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इंटरव्यू दे सकेंगे। हर विश्वविद्यालय में एक कोविड-19 सेल गठित होगा जो परीक्षाओं के आयोजित करने के बारे में रूपरेखा तैयार करेगा।