नई दिल्ली। वायु सेना के मालवाहक विमान ए एन-32 के कलपुर्जों की खरीद में रिश्वत लेने की रिपोर्टों से उठे विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय ने इनकी खरीदारी के सौदे के बारे में वायु सेना से ब्योरा देने को कहा है।
रिपोर्टों में कहा गया है कि विमान के कलपुर्जों की खरीद में 17.55 करोड रूपए की रिश्वत ली गई है और इसमें कथित रूप से रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के शामिल होने की बात कही जा रही है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने आज कहा कि सच्चाई का पता लगाने के लिए मंत्रालय ने वायु सेना से इस सौदे का ब्योरा देने को कहा है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि उक्रेन के राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने गत फरवरी में गृह मंत्रालय से कानूनी प्रक्रिया के तहत जानकारी भी मांगी है।
इस बीच गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भोपाल में संवाददाताओं के इस बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें उक्रेन के इस तरह के किसी पत्र की जानकारी नहीं है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यह पत्र कीव में भारतीय राजदूत को दिया गया है तो यह प्रक्रिया के अनुसार यह विदेश मंत्रालय में भेजा गया होगा।
वायु सेना ने नवम्बर 2014 में उक्रेन की एक कंपनी के साथ ए एन-32 विमान के कलपुर्जो की खरीद के लिए समझौता किया था।
इस सौदे में रिश्वत लिये जाने की रिपोर्ट सामने आने के बाद से राजनीतक दलों ने मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है जहां कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रिश्वत लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का अनुरोध किया है वहीं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने इस मामले में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से नैतिक आधार पर इस्तीफे की मांग की है।
कांग्रेस इससे पहले फ्रांस सरकार से लड़ाकू विमान राफेल की खरीद में भी घोटाले का अारोप लगाते हुए कई बार सीधे मोदी पर निशाना साध चुकी है।