नयी दिल्ली 10 जनवरी :- सरकार ने हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए वैश्विक निकाय के उस नियम में बदलाव की मुहिम शुरू की है जिसमें इस आशय के प्रस्ताव का अनुमोदन करने वाले देशों पर खर्च वहन करने का जिम्मा डाला गया है।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज यहाँ विश्व हिन्दी दिवस के मौके पर अपने मंत्रालय में आयोजित एक कार्यक्रम में यह जानकारी दी। कार्यक्रम में विदेश राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह और गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू भी उपस्थित थे।
श्रीमती स्वराज ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिलाने के लिए इस संबंध में आने वाले प्रस्ताव का दो-तिहाई देशों द्वारा अनुमोदन जरूरी होगा। दिक्कत इस बात की है कि अनुमोदन करने वाले देशों को इसके लिए होने वाले व्यय में हिस्सेदारी वहन करनी होगी।
उन्होंने कहा कि 177 देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव का समर्थन करने को देखते हुये हिन्दी के पक्ष में करीब 129 देशों का समर्थन हासिल करना मुश्किल नहीं होगा। लेकिन, खर्च वहन करने की शर्त के कारण छोटे एवं गरीब देशों को समस्या होगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि यूँ तो भारत पूरा खर्च वहन करने के लिए तैयार है लेकिन नियम के कारण ऐसा संभव नहीं है। इसी वजह से जर्मन एवं जापानी भाषा को भी संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र के इस नियम को बदलवाने के लिए मुहिम शुरू कर दी है। भारत का कहना है कि अगर वह खुद पूरा खर्च वहन करने का तैयार है तो हिन्दी को वैश्विक निकाय की आधिकारिक भाषा बनाने की इजाज़त मिलनी चाहिये।
उन्होंने कहा कि भारत यही पर नहीं रुका है। संयुक्त राष्ट्र के प्रचार-प्रसार विभाग में हिन्दी भाषा में साप्ताहिक समाचार बुलेटिन का प्रसारण तथा ट्विटर एवं फेसबुक पर हिन्दी के समाचारों को देने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजाें के हिन्दी में अनुवाद का काम शुरू हो चुका है। इस प्रकार से हिन्दी ने आधिकारिक दर्जा हासिल किये बिना ही संयुक्त राष्ट्र में जगह बना ली है। आशा है कि आधिकारिक दर्जा हासिल करने में बहुत देर नहीं होगी।