दिल्ली पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण लोगों के लिए परेशानी बन गया है। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने से हालात बेकाबू हो गए हैं। बेकाबू होते जा रहे वायु प्रदूषण पर अब राजनीति भी गर्मा गई है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक दूसरे पर बढ़ते प्रदूषण काे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
इन तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच वातावरण में फैली जहरीली हवा को लेकर बयानबाजी भी की जा रही है। शुक्रवार को तो दिल्ली की आबोहवा बेकाबू हो गई । दिल्ली और एनसीआर क्षेत्रों में लोगों का दम घुट रहा है सांस लेने में भी परेशानी हाे रही है। प्रदूषण संकट गहराने के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 27 प्रतिशत योगदान है।
वायु प्रदूषण पर निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की संस्था ‘सफर’ के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में संभावित पश्चिमी विक्षोभ से हवा की सुस्त गति में इजाफे के कारण दूषित हवा से जल्द राहत मिलने की उम्मीद है। सफर की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं पिछले तीन दिनों में बढ़ी हैं।
राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 27 अक्टूबर को पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं 7842 से बढ़कर 12027 हो गयीं जबकि 30 अक्टूबर को यह आंकड़ा 19869 पर पहुंच गया। वहीं, हरियाणा में इन घटनाओं की संख्या 27 अक्टूबर को 476 से बढ़कर 3735 हो गई और राज्य में 30 अक्टूबर को पराली जलाने की 4221 घटनाएं दर्ज की गई। गौरतलब है कि दिल्ली में पिछले दो दिनों की तरह ही हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई है। दिल्ली के वायुमंडल में वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पार्टिकुलेट तत्वों का सघन जमावड़ा बरकरार है। पीएम 2.5 के स्तर को बढ़ाने में पराली जलाने की घटनाओं का गुरुवार को योगदान 27 प्रतिशत रहा जबकि आज यह स्तर 25 प्रतिशत रहने की संभावना है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार