नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का बुधवार से विलय प्रभावी होने के साथ ही यह देश का पांचवां बड़ा सरकारी बैंक बन गया है।
विलय के बाद आंध्रा बैंक और कार्पाेरेशन बैंक के कर्मचारी अब यूनियन बैंक के कर्मचारी हो गए हैं। विलय के बाद कर्मचारियों की संख्या 75 हजार हो गई है और इसकी 9600 से ज्यादा शाखाएं हो गई है। 13,500 एटीएम के साथ देश का चौथा सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क हो गया है।
वर्ष 1919, 1923 और 1906 में क्रमश: स्थापित हुए यूनियन बैंक, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक ने इतने वर्षों में ग्राहकों को अच्छी सुविधाएं दी हैं। इस विलय से बड़े नेटवर्क और विभिन्न उत्पाद और सेवा के माध्यम से एक बेहतर आर्थिक मापदंड स्थापित करने, अच्छी कैपिटल क्षमता और कस्टमर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। विलय से अगले तीन वर्षाें में 2500 करोड़ रुपए की लागत बचत होने का अनुमान है।
यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरन राय ने कहा कि इस विलय से उनके बैंक की दक्षिण भारत में पहुंच बढ़ जाएगी। विलय के साथ ही उनका बैंक अब ग्राहकों को पहले की तुलना में बड़े नेटवर्क के साथ और बेहतर सेवाएं प्रदान करने में सक्षम होगा।
सरकार ने अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और ग्राहकों को अच्छे उत्पाद एवं सेवा मुहैया कराने के उद्देश्य से तीनों बैंकों के विलय की योजना तैयार की है। कार्पोरेशन बैंक और आंध्रा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के तरह ही बैंकिंग सिस्टम उपयोग करते हैं, इसलिए आईटी इंटीग्रेशन के कठिन कार्य को भी पूरा कर लिया गया है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 52 फीसदी ब्रांच के साथ आंध्रा बैंक विलय के बाद बने बैंक की स्थिति को दक्षिण भारत में मजबूत करेगा। कर्नाटक में 30 फीसदी ब्रांच होने के साथ ही कॉर्पोरेशन बैंक दक्षिण में उपस्थिति को विस्तार देगा।
वहीं दूसरी तरफ 33 फीसदी ब्रांच महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तर और पश्चिम भारत में मजबूत उपस्थिति के साथ यूनियन बैंक की इस विलय से पूरे भारत में मौजूदगी हो जाएगी।