नई दिल्ली। श्रमिक संगठनों ने केंद्रीय बजट 2021-22 को कार्पोरेट लूट करार देते हुए कहा है कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों में विनिवेश पर फिर से विचार करना चाहिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि सरकार को अपनी विनिवेश नीति पर फिर से विचार करना चाहिए। बीएमएस के महासचिव बिनय कुमार सिन्हा ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक अच्छी अवधारणा है लेकिन इसमें विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और विनिवेश मिलाने से निराशा हुई है। हालांकि उन्होंने असम और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के मजदूरों और मछुआरों के लिए कल्याण कारी कार्यक्रमों और क्षेत्र के लिए बुनियादी ढांचा विकसित करने की घोषणा का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से बुनियादी ढ़ांचे के क्षेत्र में विदेशी निर्भरता बढ़ेगी। सरकार को रणनीतिक और जन महत्व के क्षेत्रों में विनिवेश से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बजट में श्रमिक संघों की मांगों को समाहित नहीं किया गया है।
अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस की अमरजीत कौर ने केंद्रीय बजट को ‘कार्पोरेट लूट’ और ‘राष्ट्रीय संपदा’ को बेचने वाला बताया है। केंद्रीय बजट में पुरानी घोषणाओं को दोहराया गया है। कार्पोरेट को बड़ी छूट दी गई है और आम जनता पर अधिभार लगाया गया है। बजट में मजदूरों और किसानों के हितों को अनदेखा किया गया है। कौर ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को बेचने और विनिवेश की ओर बढ़ रहे हैं।