नई दिल्ली। सरकार ने प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के क्रियान्वयन देने के लिए आज राष्ट्रीय रसद (लॉजिस्टिक) नीति को आज मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को यहां हुई बैठक में राष्ट्रीय रसद नीति को मंजूरी दी गई। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संवाददाताओं को इसकी जानकारी दी।
राष्ट्रीय रसद नीति ने लॉजिस्टिक क्षेत्र के लिए एक व्यापक अंतःविषय, अंतर-क्षेत्रीय, बहु-क्षेत्राधिकार और व्यापक नीतिगत ढांचा निर्धारित किया है। यह नीति प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की पूरक है। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का उद्देश्य एकीकृत ढांचागत विकास करना है जबकि राष्ट्रीय रसद नीति में प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नियामक ढांचे, कौशल विकास, उच्च शिक्षा में लॉजिस्टिक्स को मुख्यधारा में लाने और उपयुक्त तकनीकों को अपना कर लॉजिस्टिक्स सेवाओं और दक्षता लाने की परिकल्पना की गई है।
प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान और राष्ट्रीय रसद नीति दोनों की दृष्टि, त्वरित और समावेशी विकास के लिए तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला, टिकाऊ और विश्वसनीय रसद पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है। राष्ट्रीय रसद नीति का लक्ष्य भारत में लॉजिस्टिक्स की लागत को 2030 तक वैश्विक मानक के बराबर लाना, रसद प्रदर्शन सूचकांक रैंकिंग में सुधार, 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल होना तथा एक कुशल रसद पारिस्थितिकी तंत्र के लिए डेटा-संचालित निर्णय समर्थन तंत्र का निर्माण है।
इस नीति को सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों, उद्योग हितधारकों और शिक्षाविदों के साथ परामर्श के कई दौर के विचार विमर्श एवं परामर्श की प्रक्रिया के बाद तैयार किया गया है जिसमें वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को ध्यान में रखा गया है। इस नीति के कार्यान्वयन की निगरानी और सभी हितधारकों के प्रयासों को एकीकृत करने के लिए मौजूदा संस्थागत ढांचे यानी पीएम डायनेमिक्स एनएमपी के तहत बनाए गए अधिकारिता समूह (ईजीओएस) का उपयोग करने का प्रावधान है।
ईजीओएस नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) की तर्ज पर एक ‘सर्विस इम्प्रूवमेंट ग्रुप’(एसआईजी) भी स्थापित करेगा जो प्रक्रियात्मक, नियामक और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में डिजिटल सुधार से संबंधित मापदंडों की निगरानी करेगा, जो कि टीओआर के तहत शामिल नहीं हैं। यह नीति देश में रसद लागत को कम करने का मार्ग प्रशस्त करती है। इष्टतम स्थानिक योजना के साथ गोदामों के पर्याप्त विकास को सक्षम करने, संपूर्ण रसद मूल्य श्रृंखला में मानकों, डिजिटलीकरण और स्वचालन को बढ़ावा देने और बेहतर ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
नीति में विभिन्न हितधारकों के बीच निर्बाध समन्वय और त्वरित समस्या समाधान, सुव्यवस्थित एक्जिम प्रक्रियाओं, मानव संसाधन विकास के लिए कुशल जनशक्ति का रोजगार योग्य पूल बनाने के लिए और उपाय भी निर्धारित किए गए हैं।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पूरी तरह से जोड़ा गया है। चौदह राज्यों ने राष्ट्रीय रसद नीति की तर्ज पर अपनी संबंधित राज्य रसद नीतियां पहले ही विकसित कर ली हैं और 13 राज्यों के लिए यह मसौदा चरण में है। केंद्र और राज्य स्तर पर पीएम गतिशक्ति मास्टर प्लान के तहत संस्थागत ढांचे, जो नीति कार्यान्वयन की निगरानी भी करेंगे, पूरी तरह कार्यात्मक हैं।
यह सभी हितधारकों के बीच नीति को त्वरित और प्रभावी रूप से अपनाने को सुनिश्चित करेगा। नीति सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और अन्य क्षेत्रों जैसे कृषि और संबद्ध क्षेत्रों, तेजी से बढ़ते उपभोक्ता सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने का समर्थन करती है। अधिक पूर्वानुमेयता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता के साथ, आपूर्ति श्रृंखला में अपशिष्ट और बड़ी सूची की आवश्यकता कम हो जाएगी।
देश में तेजी से आर्थिक विकास को सुगम बनाने के साथ ही वैश्विक मूल्यन श्रृंखलाओं के एकीकरण और वैश्विक व्यापार में भारत की उच्च हिस्सेदारी एक और परिकल्पित परिणाम है।
इससे वैश्विक बेंचमार्क हासिल करने के लिए रसद लागत कम होने और देश की लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग और इसकी वैश्विक स्थिति में सुधार की उम्मीद है। यह नीति भारत के रसद क्षेत्र को बदलने, रसद दक्षता में सुधार, रसद लागत को कम करने और वैश्विक प्रदर्शन में सुधार करने के लिए एक स्पष्ट दिशा निर्धारित करती है।