लखनऊ। उत्तर प्रदेश में उन्नाव के बांगरमऊ से भारतीय जनता पार्टी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाने वाली किशोरी तथा उसके परिजनाें को लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो की टीम लखनऊ पहुंच गई है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विधायक पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता तथा उसके परिवार को सीबीआई टीम सुबह उन्नाव से लखनऊ के रवाना हुई थी। किशोरी तथा उसका परिवार लखनऊ में सीबीआई के आफिस पहुंच चुका है। सीबीआई टीम पीडिता का मेडिकल परीक्षण कराएगी। टीम पीड़िता की मां, उसकी बहिन, भाई तथा उसके चाचा को लेकर लखनऊ पहुंची है।
इस बीच पीडि़ता के चाचा ने आरोप लगाया है कि पूरा उन्नाव प्रशासन आरोपी विधायक को बचाने में लगा हुआ था। मेडिकल के बाद सीबीआई की टीम पीड़िता से लखनऊ में भी पूछताछ करेगी। इस मामले में सीबीआई ने कल विधायक सेंगर का मेडिकल भी कराया था।
उन्नाव के इस कांड में सीबीआई की तरफ से अभी तक तीन केस दर्ज किए गए हैं। सीबीआई ने सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सेंगर से 16 घंटे की पूछताछ के बाद रात को गिरफ्तार किया था। सीबीआई कुलदीप सेंगर को अदालत में पेश करके ट्रांजिट रिमांड के लिए याचिका भी दाखिल करेगी।
राज्य सरकार ने इस मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द किया था। जांच मिलते ही सीबीआई हरकत में आ गई। रात तीन बजे सीबीआई की टीम के साथ स्थानीय पुलिस अधिकारियों की बैठक हुई और कल तड़के पांच बजे सेंगर सीबीआई की हिरासत में था।
इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सेंगर को अविलंब गिरफ्तार करने के निर्देश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश डी बी भोंसले और न्यायाधीश सुनीत कुमार की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था। युगल पीठ ने कहा कि आरोपी की हिरासत पर्याप्त नहीं है, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। न्यायालय ने दो मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
विधायक के खिलाफ 11 अप्रेल की रात बलात्कार और पास्को एक्ट समेत कई धाराओ में मुकदमें दर्ज किए गये थे। इससे पहले अपर पुलिस महानिदेशक लखनऊ जोन राजीव कृष्ण की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर विधायक के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की गई थी।
सीबीआई को बलात्कार के मामले के अलावा पीड़िता के पिता की मृत्यु की जांच भी सौंपी गई है। सीबीआई बलात्कार मामले में दर्ज रिपोर्ट के साथ ही तीन अप्रेल को दर्ज दो और मुकदमों की जांच भी करेगी। पुलिस के अनुसार बलात्कार की घटना गत वर्ष चार जून हो हुई थी लेकिन पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिये गये बयान में विधायक का जिक्र नहीं किया था, इसलिए विधायक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई थी।
यह मामला उस समय सुर्खियों में आ गया जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के पास पिछले सप्ताह आत्ममदाह का प्रयास किया था। इसके बाद आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर ही विधायक के खिलाफ उन्नाव के माखी थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई।
बलात्कार की घटना के बाद तीस जून 2017 को पीड़िता के चाचा उसे लेकर दिल्ली चले गये थे। इस सम्बंध में पहली रिपोर्ट पीड़िता ने 17 अगस्त 2017 को दर्ज करायी थी। पीड़िता के चाचा ने आरोप लगाया था कि मुकदमे की वापसी के लिए उसके भाई (पीड़िता के पिता) पर दबाव बनाया जा रहा था। मुकदमा वापस नहीं लेने के कारण उसके भाई को मारापीटा और फर्जी मुकदमों में जेल तक भिजवा दिया। उन्हें इतना मारा गया था कि जेल से अस्पताल लाने पर उनकी मृत्यु हो गई थी।
पुलिस के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि जेल जाने से पहले और जेल में जाने के बाद पीड़िता के पिता की समुचित चिकित्सा नहीं की गई इसलिए अस्पताल के मुख्य चिकित्साधीक्षक और इमरजेंसी मेडिकल अफसर को निलम्बित कर दिया गया जबकि तीन अन्य डाक्टरों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
मामले के सुर्खियों में आने पर विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना शुरु कर दी थी। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के 11 अप्रेल के दौरे के समय भी यह मामला उठा था। पार्टी सूत्रों के अनुसार सरकार ने उसी समय तय कर लिया था कि मामले की जांच सीबीआई को दे दी जाए।