कोलम्बो। यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) नेता रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार की शाम को श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिघे को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर राष्ट्रपति के सचिव गामिनी सेनारथ और प्रो मैत्री विक्रमसिंघे भी मौजूद थे।
गौरतलब है कि विक्रमसिंघे इससे पहले पांच बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में देश सेवा कर चुके हैं। शपथ ग्रहण करने के तुरंत बाद विक्रमसिंघे ईश्वर का आशीर्वाद लेने वालुकाराम मंदिर गए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विक्रमसिंघे और राजपक्षे के बीच बुधवार शाम को बंद कमरे में बैठक हुई थी, जिसमें उनके प्रधानमंत्री बनने को लेकर सहमति बनी और देश के मौजूदा हालात और राजनीतिक संकट पर भी चर्चा हुई।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राजपक्षे से मुलाकात के दौरान विक्रमसिंघे ने राष्ट्रपति सचिवालय के पास शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन को नहीं रोकने का आग्रह किया और राष्ट्रपति पद इस बात पर सहमत हो गए।
यूएनपी अध्यक्ष वजीरा अभयवर्धन ने मीडियाकर्मियों को बताया कि विक्रमसिंघे नए प्रधानमंत्री के तौर पर संसद में बहुमत साबित करने में कामयाब होंगे। राजनीतिक सूत्रों ने बताया कि एसएलपीपी, एजेबी तथा कई अन्य पार्टियों के सांसदों ने विक्रमसिंघे के प्रति सहमति व्यक्त की है। पूर्व प्रधानमंत्री राजपक्षे की नेतृत्व वाली श्रीलंका पोदुजना पेरामुलना ने कथित तौर पर विक्रमसिंघे को समर्थन दिया है, ताकि पार्टी संसद में बहुमत साबित कर सके।
विक्रमसिंघे ने राजनैतिक पार्टियों के गतिरोध और देशव्यापी प्रदर्शनों के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके कारण यह पद खाली था। विपक्षी पार्टियों ने श्री राजपक्षे के राष्ट्रपति रहते हुए प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से इनकार कर दिया है।
उधर, कोलंबो के आर्कबिशप कार्डिनल मैल्कम रंजीत ने कहा कि विक्रमसिंघे संसद में बहुमत हासिल नहीं है। उन्होंने कहा कि विक्रमसिंघे अपनी पार्टी के एक मात्र सांसद है। इस वजह से उनकी नियुक्त वैध नहीं है।