झांसी. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में तेजी से बढते गर्मी के प्रकोप से मानव तो क्या मवेशी भी परेशान होने लगे हैं।
सूखे पडे जलस्रोतों ने पशुओं के लिए स्थिति और भयावह कर दी है। पिछले सीजन में हुई कम बारिश के कारण न तालाबों में पानी है न नहरों व पोखरों में।
ऐसे में पशुओं के लिए पानी उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती बन गई है। पानी की कमी के कारण पशु अभी से परेशान नजर आने लगे है। पिछले दिनों में उरई में बुंदेलखंड के सूखा संबंधी बैठक हुई थी जिसमें सिंचाई सलाहकार समिति ने नहर चलाने के लिए सिंचाई बंधु की बैठक में रोस्टर चलाने का प्रस्ताव पास करने का निर्देश दिया था। सिंचाई बंधु की बैठक में झांसी जिले के लिए प्रस्ताव भी पास हो गया। तय किया गया कि दो हफ्ते का रोस्टर बनाकर खाली तालाब और पोखर भरे जाएं ताकि पशुओं को पानी मिल सके।
जिले में पशुओं को पानी पिलाने के लिए 91 तालाब और 258 पोखर हैं। बांधों में करीब दस दिन का पानी बचा है। यदि रोस्टर चलाकर पानी छोड़ा जाता है तो अधिकतम 40 तालाब और 50 पोखर ही भर पाएंगे। इसके बाद भी 168 तालाब और पोखर खाली रह जाएंगे। इस चिंता से सिंचाई विभाग दो चार हो रहा है। उसके पास कोई समाधान नहीं है।
सिंचाई विभाग जून के भरोसे है। विभाग के अनुसार यदि जून में मानसून आता है तो जुलाई में नहरें चलाई जा सकती हैं। कहने को तो यह सुखद विश्वास है लेकिन तब नहरें चलाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि सभी तालाब और पोखर बारिश के पानी से वैसे ही भर जाएंगे।