लखनऊ। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में उत्तर प्रदेश के दो बागी विधायकों अदिति सिंह और राकेश सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका सोमवार काे खारिज कर दी गई है।
विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने याचिका खारिज करते समय कहा कि दल बदल कानून के उल्लघंन के पर्याप्त साक्ष्य कांग्रेस उपलब्ध नहीं करा सकी है। इसलिए ये याचिकाएं खारिज की जाती है।
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा माेना ने रायबरेली सदर विधायक अदिति सिंह और हरचंदपुर सीट से विधायक राकेश सिंह के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत सदस्यता खत्म करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दाखिल की थी। याचिका खारिज होने के बाद अदिति सिंह और राकेश सिंह कांग्रेस के विधायक बने रहेंगे।
याचिका खारिज होने के बाद अदिति सिंह ने ट्वीट किया कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं। मिश्रा ने अदिति सिंह की सदस्यता समाप्त करने के लिए पिछले साल 26 नवंबर को याचिका दी थी। अदिति पर पार्टी व्हिप के उल्लंघन का आरोप है।
पिछले साल दो अक्टूबर को उन्होने योगी सरकार के बुलाए गए विशेष सत्र में हिस्सा लिया था जबकि पार्टी ने गांधी जयंती पर सरकार के इस विशेष सत्र का बहिष्कार करते हुए विधायकों के लिए व्हिप जारी किया था। अदिति तमाम मौके पर पार्टी विरोधी रुख अपनाती रही हैं।
कांग्रेस ने पिछले साल ही रायबरेली में हरचंदपुर के विधायक राकेश सिंह की सदस्यता रद्द करने के लिए याचिका दी थी। उन पर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सोनिया गांधी के विरोध का आरोप है।
राकेश सिंह भाजपा में शामिल हो चुके एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के सगे भाई हैं। दिनेश प्रताप सिंह को भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली से मैदान में उतारा था।
अदिति सिंह मामले में कांग्रेस लेगी अदालत की शरण
रायबरेली की बागी विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह की विधानसभा सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका खारिज होने से तिलमिलाई उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने इस मामले में उच्च न्यायालय की शरण में जाने का फैसला किया है।
कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा माेना ने सोमवार को कहा कि पिछले साल विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष अदिति सिंह और राकेश सिंह की विधानसभा सदस्यता निरस्त करने संबंधी याचिकाएं विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित के समक्ष प्रस्तुत की गई थी। दोनों याचिकाओं को लेकर पार्टी ने पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध कराए थे लेकिन आज आए फैसले मे दोनो याचिकाएं खारिज कर दी गई।
उन्होंने कहा कि पार्टी को लगता है कि उसके द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों की अनदेखी की गई है जो न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता। पार्टी इस बारे में विधिक राय ले रही है जिसके बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा। पार्टी को उम्मीद है कि न्यायालय से उन्हें न्याय मिलेगा।