प्रयागराज। पांच बार के विधायक और सांसद रहे अतीक अहमद और पूर्व विधायक भाई अशरफ की शनिवार रात मीडियाकर्मी के रूप में आए तीन हमलावरों ने गाेली मार कर हत्या करने के बाद अफवाहों और किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोकने के लिए के लिए रविवार सुबह से इंटरनेट सेवाओं को पाबंदी लगा दी गई।
अतीक अहमद और अशरफ को शनिवार की रात नियमित जांच के लिए काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। वहीं पर मीडियाकर्मियों के रूप में तीन हमलावारों ने कई राउंड गोली चलाकर दोनों की हत्या कर दी। इस घटना में एक रिपोर्टर चोट लगने से घायल हो गया और अन्य एक पुलिसकर्मी भी गोली लगने से घायल हो गया है। घटना के बाद शहर का माहौल तनाव पूर्ण बन गया है। किसी भी प्रकार के अफवाहों पर नियंत्रण करने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई है।
सूत्रों ने बताया कि शहर के कई क्षेत्र संवदेनशील है। सुरक्षा के मद्देनजर शहर में आसपास के जिलों से अतिरिक्त पुलिस बल बुलाया गया है। स्थानीय पुलिस के साथ पीएसी और आरएएफ के जवानों को तैनात किया गया है।
उन्होंने बताया कि इंटरनेट सेवा का आदेश इसलिए जारी किया गया है कि किसी भी प्रकार से प्रयागराज का माहौल खराब नहीं हो और इंटरनेट सेवा के माध्यम से किसी भी प्रकार से अफवाहों का बाजार गर्म नहीं हो सके। सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए चप्पे-चप्पे पर कड़ा पहरा लगा है। प्रयागराज को 14 सेक्टरों में बांटा गया है। दुकानदारों से अपनी दुकानें बंद रखने की अपील की गई है।
राजू पाल, उमेश पाल की मौत से अतीक का अंत
बहुजन समाज पार्टी के तत्कालीन नेता राजू पाल की हत्या के बाद से माफिया अतीक अहमद के सितारे गर्दिश में पड़ गए और उमेश पाल की हत्या तो उसके ताबूत में आखिरी कील साबित हुई।
राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण हुई थी। यहीं से अतीक के सितारे गर्दिश में पड़ने शुरू हो गए थे। अतीक ने राजू पाल की हत्या के मुख्य गवाह उमेश पाल को गवाही नहीं देने के लिए 2006 में अपहरण करवाया गया था। इस मामले में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ को नामजद किया गया था।
राजू पाल के मुख्य गवाह उमेश पाल ने प्रदेश में बसपा की सरकार बनने के बाद 2007 में अतीक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करावाया था। वर्ष 2007 में अतीक फरार हो गया था। राजू पाल हत्याकांड की फाइल फिर खोली गई थी। उस समय अतीक सांसद थे, इसके बाद भी पुलिस ने उन पर 20 हजार का इनाम रखा था। बाद में 2008 में उसे दिल्ली के प्रीतमपुरा इलाके से गिरफ्तार कर प्रयागराज लाया गया था।
गत 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या में साबरमती जेल में बंद अतीक अहमद, बरेली जेल में बंद अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटो और नौ अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। उमेश पाल के अपहरण के 17 साल के बाद एमपी/एमएलए की विशेष अदालत पहली बार 28 मार्च को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसी मामले में न्यायाधीश में दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद साक्ष्य के अभाव में असरफ को दोष मुक्त करार दिया था और उसी शाम को अतीक को साबरमती और अशरफ को बरेली जेल भेज दिया गया था।
उमेश पाल की हत्या के बाद अतीक का बचा हुआ परिवार भी तितर बितर हो गया। अतीक अहमद और अशरफ, बेटा उमर और मोहम्मद अली पहले से जेल में बंद थे। तीसरे नंबर का बेटा असद और पत्नी शाइस्ता परवीन और परिवार के दूसरे सदस्य फरार चल रहे है। शाइसता पर 50 हजार का इनाम घोषित है जबकि असद पर पांच लाख रुपए का इनाम था। एसटीएफ के साथ 13 अप्रैल को झांसी में एक मुठभेड़ में वह मारा गया था।
अतीक अहमद और भाई अशरफ को 13 अप्रैल को उमेश पाल की हत्या के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) दिनेश कुमार गौतम की अदालत ने मामले में पूछताछ करने के लिए पांच दिन के लिए 17 अप्रैल तक पुलिस रिमांड मंजूर किया था। 13 अप्रैल की शाम से ही एसटीएफ लगातार पूछताछ कर रही थी। इस दौरान उसने कई महत्वपूर्ण राज कबूले।
शुक्रवार की रात नियमित जांच के लिए उसे काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। बेटे असद की एसटीएफ के साथ मुठभेड में मारे जाने को लेकर मीडिया द्वारा पूछे गए तीखे सवालों के जवाब में अतीक शांत दिखाई दे रहा था, जबकि अशरफ ने जवाब में कहा कि अल्लाह ने दिया था और अल्लाह ने वापस ले लिया।
शनिवार की (15 अप्रैल) रात फिर फिर से नियमित जांच के लिए अतीक और असरफ को काल्विन अस्पताल ले जाया गया था। यहीं पर हमलावरों ने मीडियाकर्मियों के रूप में सवाल करने और उसके करीब पहुंच कर कल देर रात करीब 10.30 बजे कई राउंड गोली चलाकर अतीक और अशरफ के ताबूत में आखिरी कील ठोक दिया।