अयोध्या. उत्तर प्रदेश में श्रीराम की अयोध्या कल दोपहर 12 बजे ही “भये प्रकट कृपाला, दीनदयाला” जैसी चौपाइयों और गीतों से गूँज उठेगी।प्रचलित मान्यताओं के अनुसार कल चैत्र रामनवमी को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
इसी उपलक्ष्य में इस नवमी को रामनवमी के रूप में जाना जाता है। रामनवमी के लिये हर वर्ष देश के कोने-कोने से यहाँ कई लाख श्रद्धालु पहुँचते हैं जो भोर से ही सरयू स्नान कर विभिन्न मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं।
दोपहर बारह बजे के पूर्व इस क्रम में थोड़ी देर के लिये ठहराव आता है, क्योंकि इस समय भगवान श्रीराम की प्रतीकात्मक जन्म की तैयारी शुरू हो जाती है। श्रद्धालु यह भी विहंगम दृश्य देखने के लिये मंदिरों में शरण लेते हैं। बारह बजते ही लगभग पूरी अयोध्या में एक खास समा बंध जाता है।
अयोध्या में प्रसिद्ध कनक भवन मंदिर में भगवान श्रीराम का जन्म मनाया जाता है और मंदिर में बधाई और सोहर गीतों के सुर गूंजने लगते हैं। इस अवसर पर दूर-दूराज से आये किन्नर भी भगवान श्रीराम के जन्म पर सोहर गीत गाते हैं और खूब धूमधाम से नाचते हैं। वैसे तो अयोध्या के रामजानकी महल ट्रस्ट सहित विभिन्न मंदिरों में भगवान राम का जन्म मनाया जाता है परन्तु कनक भवन में कुछ दृश्य अजीबो-गरीब होता है।